कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के कर्नल (सेवानिवृत्त) नेक्टर संजेंबम ( nectar sanjenbam ) को जातीय हिंसा से प्रभावित पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में पुलिस अधीक्षक (कॉम्बैट) के तौर पर तैनात किया गया है . कर्नल नेक्टर संजेंबम को जून 2015 में म्यांमार में की गई उस सर्जीकल स्ट्राइक के कारण अलग पहचान मिली थी जो मणिपुर के चंदेल ज़िले में सैनिकों पर हुए हमले के अगले ही दिन की गई थी. चन्देल हमले में 18 सैनिकों की जान गई थी.
मणिपुर की हिंसा में बीते मई से लेकर अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी . असंख्य लोग घायल हुए हैं और बड़ी तादाद में लोगों के घरों व अन्य स्थानों पर आगजनी हुई है. यों हाल की ताज़ा घटनाओं में ही दर्जन भर से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 30 से ज्यादा ज़ख़्मी हुए हैं . मणिपुर राज्य में बीते चार महीने में असंख्य लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुएं है और असुरक्षा के कारण अब तक घर नहीं लौट पाए . घरबार से दरबदर यह लोग अलग अलग स्थानों में शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं. सरकार का मानना है कि मणिपुर की हिंसा में म्यांमार की सीमा की तरफ से हो रही घुसपैठ और हथियारों की सप्लाई का भी बड़ा रोल है . इस तरह के वहां के तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने से लेकर उनके खिलाफ असरदार कार्रवाई करने के तौर तरीकों में कर्नल नेक्टर की विशेषज्ञता मानी जाती है.
भारतीय सेना की तेज़ तर्रार स्पेशल फोर्सेस 21 पैरा में तैनात रहे कर्नल नेक्टर संजेंबम को पांच साल के लिए मणिपुर पुलिस में वरिष्ठ अधीक्षक तैनात करने का आदेश मणिपुर के राज्यपाल ने दिया है . मणिपुर में कानून व्यवस्था संभाल पाने में नाकाम रही भारतीय जनता पार्टी की एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की मदद के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में जो फैसले लिए हैं उनमें , बहादुरी व शूरवीरता के दो पुरस्कारों से सम्मानित , कर्नल नेक्टर की तैनाती भी शामिल है . वैसे मणिपुर के संयुक्त सचिव (गृह ) के 28 अगस्त की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक़ कर्नल नेक्टर सेंजेंबम की नियुक्ति 12 जून के कैबिनेट के लिए फैसले के बाद की गई है .
मणिपुर में मैतेई और कुकी कबीलाई जातियों के गुटीय संघर्ष यूं तो कोई नई बात नहीं है लेकिन वर्तमान भीषण हिंसा की शुरुआत का कारण मणिपुर हाईकोर्ट के वेस्ले के बाद उपजे हालात बने . अदालत ने सरकार से कहा था कि वह मैतेई ( meitis ) लोगों को अनुसूचित जाति में शामिल की सिफारिश करे . इसके बाद मणिपुर की आल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ( all tribals students union ) ने 3 मई के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आहूत किया था. लेकिन इस प्रदर्शन ने तब हिंसक रूप ले लिए जब कुकी ( kuki ) और मैतेई गुट आपस में भिड गए. चुराचांदपुर और विष्णुपुर जिलों में इन गुटों ने हिंसा की जिसके बाद विभिन्न स्थानों पर खून खराबा – आगजनी का सिलसिला शुरू हो गया . इसने कइयों की जान ली और बहुतों को बेघर कर डाला . इसी के बाद महिला को निर्वस्त्र करके घुमाने , बलात्कार करने जैसे घटनाएं सामने आने लगीं .