भारतीय पुलिस सेवा के आंध्र प्रदेश कैडर अधिकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के महानिदेशक नलिन प्रभात का कैडर बदल दिया गया है. इसे , उनको जम्मू कश्मीर का पुलिस महानिदेशक बनाने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है . श्री प्रभात की आंध्र प्रदेश से अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश ( -AGMUT-एजीएमयूटी) कैडर में तीन साल के कार्यकाल के लिए अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति को मंजूरी दी गई .
आईपीएस नलिन प्रभात के संदर्भ में लिए गए इस फैसले को इसलिए अप्रत्याशित माना जा रहा है क्यूंकि उनको सिर्फ चार महीने पहले ही एनएसजी का चीफ बनाया गया था. आईपीएस का करियर के शीर्ष पर पहुँचने पर उसके कैडर में बदलाव काफी हद तक स्पष्ट कर देता है कि अधिकारी को बड़ी ज़िम्मेदारी देने की तैयारी है.
नक्सलवाद और आतंकवाद के मामलों में खासे अनुभवी व तेज़ तर्रार पुलिस अधिकारी माने जाने वाले नलिन प्रभात का कैडर बदलने के लिए केंद्र की कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने बुधवार को मंज़ूरी दी थी. इससे पहले, एसीसी ने 31 अगस्त, 2028 तक एनएसजी के महानिदेशक ( dg nsg ) के रूप में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी थी.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अवर सचिव संजीव कुमार की तरफ से 14 अगस्त को जारी एक आदेश में कहा गया है : अधोहस्ताक्षरी को कैबिनेट की नियुक्ति समिति की मंजूरी से अवगत कराने का निर्देश दिया जाता है कि एनएसजी के डीजी के रूप में नलिन प्रभात के कार्यकाल में कटौती की गई है. आंध्र प्रदेश से एजीएमयूटी कैडर में नलिन प्रभात की अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति को देखते हुए श्री प्रभात को तत्काल कार्यमुक्त किया जाए ताकि वह एजीएमयूटी कैडर में शामिल हो सकें. अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति दिशानिर्देशों में छूट देते हुए श्री प्रभात को एजीएमयूटी कैडर में शामिल होने की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए या अगले आदेशों तक इसी कैडर में सेवा देनी होगी.
हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रभात ने एनएसजी में शामिल होने से पहले, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में काम किया था. वह जम्मू-कश्मीर में भी तैनात रहे हैं . उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी बल का गठन भी किया गया था.
जम्मू कश्मीर के वर्तमान पुलिस निदेशक रश्मि रंजन स्वेन अगले महीने 60 साल के होकर रिटायर हो जाएंगे. माना जा रहा है कि नलिन प्रभात को उनकी जगह जम्मू कश्मीर पुलिस के प्रमुख की कुर्सी सौंपी जाएगी. हाल फिलहाल में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद ऐसे मामले ज्यादा हुए हैं जिसमें सुरक्षा बलों को काफी नुकसान उठाना पडा है .
जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद इसे केंद्र शासित क्षेत्र बनाया गया . बाद में यहां एजीएमयूटी कैडर के अफसरों की वहां तैनाती भी शुरू की गई है . जामु कश्मीर से प्रशासनिक व राजनीतिक तौर पर अलग किये लदाख को भी यूटी बनाया गया था.
एजीएमयूटी कैडर मैं सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण क्षेत्र राजधानी दिल्ली है. दिल्ली में भी वर्तमान पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा भी दूसरे कैडर से लाए गए. संजय अरोड़ा 1988 बैच के तमिलनाडु कैडर के अफसर हैं और 2022 में उनको राजधानी का पुलिस प्रमुख बनाया गया था. श्री अरोड़ा का कार्यकाल 2025 तक है लेकिन उनके ताब्दले की भी चर्चा है. वैसे उनके पूर्ववर्ती पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना भी एजीएमयूटी कैडर के नहीं थे. राकेश अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी थे. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बनाए जाने से पहले श्री अस्थाना केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( CBI – सीबीआई ) में स्पेशल डायरेक्टर थे और तत्कालीन सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा से उनका विवाद हुआ था. सरकार ने तब दोनों अधिकारियों को हटा दिया था. आलोक वर्मा एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी थे और दिल्ली पुलिस में कमिश्नर भी रहे थे.
यूं अन्य कैडर के अधिकारी को कहीं भी पुलिस प्रमुख बनाना नई बात नहीं है. दिल्ली पुलिस में भी ऐसा हुआ है. यूपी कैडर के अधिकारी अजय राज शर्मा को भी दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. यह 1999 की बात है. उन्हीं के कार्यकाल के दौरान संसद पर आतंकवादी हमला हुआ था . हमले के वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली ही बीजेपी -एनडीए की सरकार थी . बाद में अजय राज सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक बनाए गए थे. लेकिन ऐसे मामले अपवाद थे लेकिन अब दिल्ली में भी लगातार दूसरे कैडर के अफसर पुलिस प्रमुख बनाए जाने का रिवाज़ शुरू हो गया है.