‘ बुक बाबा ‘ आईजी बसंत रथ IPS से छुट्टी मिलते ही बीजेपी में शामिल

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बसंत रथ ने बीजेपी में शामिल होने का सबूत सार्वजनिक किया

बसंत कुमार रथ को अब भारतीय पुलिस सेवा से मुक्त कर दिया गया है. जिसे पाना देश के लाखो नौजवानों का सबसे बड़ा सपना होता है उस सेवा में वरिष्ठतम पद के करीब पहुँचने पर उसे  खुद त्यागने की पहल करना किसी के भी जीवन का बहुत ही बड़ा फैसला माना जाएगा.  लेकिन 2000 बैच के आईपीएस बसंत रथ ने यह फैसला कई दिन पहले तभी ले लिया था जब  उनको लगातार निलंबित रखा जा रहा था. भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर कैडर में 23 साल रहे आईपीएस बसंत  रथ की समय से पहले सेवानिवृत्ति के आवेदन को स्वीकार करते हुए उनका हिसाब किताब करने का पत्र भी जारी कर दिया है .

दिलचस्प है कि तीन साल से निलंबित बसंत रथ की  सेवामुक्ति की मंजूरी का यह फैसला तब आया  जब ‘ बुक बाबा ‘ के नाम से जम्मू कश्मीर के नौजवानों में  लोकप्रिय बसंत रथ ने 8  अगस्त 2023 की रात , केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह को चुनौती देते हुए एक  वीडियो शेयर किया. इसमें उन्होंने पुलिस  प्रमुख पर नशे के कारोबार पर नियंत्रण  करने पर नाकाम रहने के इलज़ाम लगाए और साथ ही उनसे अपनी जान को खतरा भी बताया. वीडियो में लगाए गए इल्जामों का लबो लुआब  यह था कि सेवा विस्तार पर चल रहे श्री भल्ला की पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह को शह मिली हुई है.

बसंत रथ और महानिदेशक दिलबाग सिंह के बीच चल रही खटपट  किसी से छिपी हुई नहीं है और न ही बसंत रथ का वह  व्यवहार कोई सीक्रेट है जिसके कारण काफी लोग उनको बदमिजाज़ और सनकी भी कहते हैं . वहीँ बहुतों को 52  वर्षीय  बसंत रथ एक शानदार शख्सियत  लगते हैं. उनकी ज़बरदस्त फैन फ़ॉलोइंग भी है. खासतौर से नौजवान तबका उनके स्टाइल को पसंद भी करता है.  इसकी एक बड़ी वजह यह् है कि सैंकड़ों मील दूर ओडिशा से आकर आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में खाकी पहनकर बेधड़क सड़कों पर पैदल तक चलने वाले का साहस कोई विरला अफसर ही कर सकता है .

आईपीएस बसंत रथ

बहरहाल, उपरोक्त वीडियो के जारी होने से एकदम पहले और इसके बाद भी ही लगातार कई घटनाक्रम. इनमें सबसे ताज़ा तो यही कि केंद्र सरकार ने  बसंत कुमार रथ को भारतीय पुलिस सेवा में काम करने लायक नहीं रहने का ठप्पा लगाते हुए उनको कार्यमुक्त कर दिया.  इससे पहले 28 जुलाई को केंद्र सरकार  ने बसंत रथ का निलंबनछह महीने और दबढ़ाने का फैसला जारी किया था . यह अवधि   31 जुलाई 2023  से 27 जनवरी  2024  यानि 180 दिन की रखी गई. राष्ट्रपति की तरफ से  यह आदेश केन्द्रीय समीक्षा समिति  ( central review committee ) की सिफारिश पर जारी किया गया है. इसके तुरंत बाद ही श्रीनगर की एक अदालत ने तीन साल पुराने एक मामले में उनके वारंट भी जारी किये थे.

ऐसे में बसंत रथ का अपना वीडियो बनाना और फिर  अपने 95 हज़ार से ज्यादा फॉलोवर्स वाले ट्वीटर हैंडल @KangriCarrier पर  वायरल करना , उसके तुरंत बाद सरकारी  सेवा से मुक्त होते के  ही , केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा – BJP)का उनको कार्यकर्ता के तौर पर पंजीकृत करना काफी दिलचस्पी भरा भी है. बसंत रथ के बीजेपी के इस पंजीकरण पर 10 अगस्त 2023 की तिथि अंकित है जिसमें कहा गया है कि अब आप पार्टी के सैनिक हैं और इसके नेतृत्व के लिए शक्ति का स्त्रोत हैं .

बसंत रथ का सियासत में जाना या बीजेपी में शामिल होना जम्मू कश्मीर के लोगों को या रथ को फॉलो करने वालों के लिए  कोई चौंकाने वाली बात नहीं है .  बसंत कुमार रथ ने खुद इस बात का ऐलान 25 जून 2022 को ट्विटर पर पोस्ट डालकर कर किया  था. बसंत रथ ने इस ट्वीट में अपनी मंशा ज़ाहिर करते हुए साफ़ साफ़  लिखा था –  अगर राजनीति में जाऊंगा तो बीजेपी में शामिल होऊंगा . अगर चुनाव लड़ा तो कश्मीर से लडूंगा . अगर सियासत में जाना हुआ तो यह 6 मार्च 2024 से पहले होगा.

 

लेखक भी हैं :
भारतीय पुलिस सेवा के 2000 बैच के अधिकारी रहे बसंत कुमार रथ पूरा जीवन और उससे जुड़े उतार चढ़ाव वाले घटना क्रम इतने चौकाने वाले व दिलचस्पी भरे हैं कि इस पर काफी कुछ लिखा जा सकता है. एक मशहूर  फिल्मकार ने तो उन पर फिल्म बनाने की पेशकश भी कभी की थी. खुद लिखने और पढ़ने के शौक के साथ बसंत रथ बच्चों व युवाओं की शिक्षा के विकास में खूब दिलचस्पी है. ओडिशा के  एक ब्राह्मण किसान परिवार में  17 जून 1972 को दा हुए बसंत रथ अपनी एक और किताब ‘ सन ऑफ़ अ ब्राह्मण ‘ ( son of a brahmin)भी प्रकाशित कराने वाले हैं जो संभवत जल्द ही मार्केट में होगी . उनकी किताब ‘ ओन मी , श्रीनगर ‘ (own me , srinagar ) पहले ही छप चूकी है जो कि वास्तव में  अंग्रेज़ी कविताओं का संग्रह है . साथ ही बसंत रथ ब्लॉग भी लिखते हैं जिसमें उनके लेखन की शानदार प्रतिभा भी परिलक्षित होती है .

बसंत रथ की आने वाली किताब का आवरण

बसंत रथ से बुक बाबा :
जम्मू कश्मीर से बसंत रथ को इतना लगाव है कि यहां तैनाती के बाद 23 साल में  उन्होंने न प्रतिनियुक्ति पर , न किसी शिक्षा अवकाश पर और न ही किसी और कारण से बाहर जाना  मुनासिब समझा. सतरह साल पहले रामबन में पुलिस अधीक्षक के पद  पर अपनी तैनाती के समय से उन्होंने गरीब और ज़रूरत मंद छात्रों को किताबें बांटनी शुरू की. स्थिति यह हो गई कि उनका यह काम उनकी अलग पहचान तो बना ही साथ ही उनको एक अलग नाम भी दे गया – बुक बाबा (book baba ) यानि किताबें बांटने वाला बाबा. बुक बाबा  बसंत रथ अब तक 17 हज़ार से ज्यादा विद्यार्थियों को किताबें बाँट कर उनको शिक्षा में मदद कर चुके हैं . यही नहीं पढ़ाई के आधुनिक तौर तरीके और तकनीक के  अभाव के कारण गरीब व प्रतिभावान विद्यार्थी  वर्तमान प्रतियोगी माहौल में पिछड़ न जाएँ इसके लिए बसंत रथ उन्हें लैपटॉप , टेब और मोबाइल फोन जैसे उपकरण भी उपलब्ध कराते हैं.

बसंत रथ ने इस बारे में की गई बातचीत में बताया कि वह काफी विद्यार्थियों को ऐसे गैजेट्स ( gadgets) उपलब्ध करवा चुके है हालांकि उनकी संख्या 100 से अधिक नहीं है . इसके लिए धन कहाँ से आता है ? पूछने पर बसंत रथ ने बताया  कि शुरू शुरू में वह अपनी  जेब से खर्च करते थे. अब इसमें और लोगों ने भी मदद देनी शुरू की है. उनको इस सामाजिक कल्याण के काम में जम्मू – कश्मीर और लदाख के लोग भी धन उपलब्ध कराते हैं . उनका काम उनको लोकप्रिय भी बना रहा है. इन्स्ताग्राम पर भी उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ रही है . उन्होंने कुछ ही पोस्ट डाली हैं लेकिन अब उनके  इन्स्टाग्राम (intagram ) अकाउंट  कांगड़ी केरियर ऑफिशियल  kangricarrierofficial पर उनको  26000 से ज्यादा लोग फॉलो कर रहे हैं .

बसंत रथ : एक ऐसा आईपीएस अफसर जो खुद चाहता है सरकार उसे बर्खास्त करे

अनिल और अशरफ चाचा :
साल 2008 में जम्मू कश्मीर में तरक्की पाकर  महानिरीक्षक  ( आई जी पी ) बनाए गए  बसंत रथ की इन सामाजिक  और जन कल्याण की  गतिविधियों से उनके  निजी जीवन की कहानी भी जुड़ी हुई है . वसंत रथ बताते हैं कि उनके पास करियर में आगे बढ़ने के लिए साधन तक नहीं थे ऐसे में उनको दो लोगों ने ज़बरदस्त मदद की. इनमें एक थे अनिल और एक थे अशरफ चाचा. बचपन में अशरफ चाचा ने उनको इतना सहारा दिया कि अपने घर में दो साल रखा , खिलाया पिलाया और पूरा ख्याल रखा. अभावग्रस्त और मजबूर लोगों , खासतौर से ऐसे  बच्चों को देख कर शायद बसंत रथ उनसे खुद ब खुद जुड़ जाते हैं . बसन्त रथ इन दोनों शख्सियतों का बेहद अहसान मानते हैं.

श्रीनगर की सड़क पर साइकिल चलाते बसंत रथ (फाइल फोटो )

सियासत की चुनौती :
अपनी ईमानदारी के साथ साथ फिटनेस प्रेम और साइक्लिंग को लेकर भी बसंत रथ की लोकप्रियता है. लेकिन यहां सवाल उठता है कि जिस तरह से भारतीय सियासत और सियासत दानों  के  चरित्र का ह्रास हो रहा है,  विचारधारा की जगह वोट और अवसरवादिता ने राजनीति में स्थान ले लिया है वहां क्या बसंत रथ जैसा शख्स  सम्मानजनक तरीके से अपनी जगह  बना कर रख सकेगा.