भारत सरकार ने साल 2020 के 10 बेहतरीन पुलिस थानों के नाम का ऐलान कर दिया है लेकिन दिलचस्प बात ये है कि देश के इन ‘टॉप टेन’ थानों में से कोई एक थाना भी ऐसा नहीं है जो बड़े या हाई प्रोफाइल शहर का हो. सरकार का दावा है कि विभिन्न मानकों और सर्वेक्षण के आधार पर, भारत के 16 हज़ार से ज्यादा थानों में से पहले दस नम्बर वाले ऐसे थाने चुने गए हैं जिन्होंने इस साल बेहतरीन काम किया है.
सरकार का कहना है कि देश में बेहतर प्रदर्शन करने वाले पुलिस थानों का चयन किया जाता है ताकि उनके काम-काज को प्रभावी बनाने की दिशा में प्रोत्साहित कर उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित की जा सके.
वर्ष 2020 के लिए भारत में 10 शीर्ष (क्रमश: टाप तो बाटम) पुलिस थाने इस प्रकार हैं:
नोंगपोक सेकमई (थोउबल, मणिपुर), ए डब्ल्यु पी एस-सुर मंगलम (सलेम, तमिलनाडु), खरसंग (चांगलांग, अरुणाचल प्रदेश), झिलमिली (सूरजपुर, छत्तीसगढ़) , संगुएम (दक्षिण गोवा), कालीघाट (अंडमान निकोबार द्वीप समूह), पकयोंग (पूर्वी जिला, सिक्किम), कांठ (मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश), खानवेल (दादरा नागर हवेली) और जम्मिकुंता टाउन (करीम नगर, तेलंगाना).
गृह मन्त्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में गुजरात के सीमाई इलाके कच्छा में पुलिस महानिदेशकों की बैठक को संबोधित करते हुए इन थानों के चयन के बारे में जो निर्देश दिए थे, उन्हीं के मुताबिक़ इन थानों के नाम तय किये जाते हैं. उपयुक्त मानकों के अलावा थाने के बारे में लोगों की राय और प्रतिक्रियाओं को भी इसमें शामिल किया जाता है. ये मानक हैं-सम्पत्ति संबंधी अपराध, महिलाओं के प्रति अपराध, समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अपराध, गुमशुदा लोग, खोजे गए लोग लेकिन उनकी पहचान नहीं हो सकी है और अज्ञात शव. आखिरी मानक को इसी साल शुरू किया गया है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने इस साल चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच इस वर्ष के सबसे बेहतर पुलिस थानों के लिए सर्वेक्षण किया था. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से आवागमन संबंधी विभिन्न प्रतिबंधों के मद्देनजर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित पुलिस थानों तक पहुंच पाना काफी मुश्किलों भरा रहा. केन्द्री य गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि देश के हजारों पुलिस थानों में से जिन थानों का चयन किया गया है, वे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और जिन थानों को शीर्ष 10 थानों की श्रेणी में रखा गया है यह बात उनके लिए भी सत्य है. यह दर्शाता है कि संसाधनों की उपलब्ध तो एक अहम कारक है, लेकिन सबसे अधिक अहम बात हमारे पुलिस जवानों की प्रतिबद्धता और उनकी ईमानदारी है जिसकी वजह से वे अपराध की रोकथाम कर देश के प्रति सेवा करते हैं.
देश के 16,671 पुलिस थानों में से आंकड़ों के विश्लेषण, प्रत्यक्ष अवलोकन और जनता से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर इन शीर्ष 10 थानों का चयन का मकसद था.
हरेक राज्य से शुरू में जिन पुलिस थानों का चुनाव किया गया था उनकी संख्या इस प्रकार है:
जिस राज्य में 750 से ज्यादा पुलिस थाने हैं वहां से 3 पुलिस थानों का चयन किया गया. सभी राज्यों और दिल्ली से दो थानों का चयन किया गया जबकि प्रत्येक संघ शासित प्रदेश से एक थाने का चुनाव हुआ. रैंकिंग प्रक्रिया के अगले चरण के लिए 75 पुलिस थानों को चुना गया.
विज्ञप्ति में बताई गई प्रक्रिया के मुताबिक़ अंतिम चरण में, सेवा वितरण के मानकों का मूल्यांकन करने और पुलिसिंग में सुधार की तकनीकों की पहचान करने के लिए 19 मापदंडों की पहचान की गई थी. इस हिस्सेे का समग्र स्कोरिंग में 80 फीसदी योगदान था और बाकी 20 फीसदी पुलिस स्टेशन के बुनियादी ढांचे और कर्मियों तक पहुंच और नागरिकों की प्रतिक्रिया पर आधारित था. शामिल नागरिकों की श्रेणियां आसपास के रिहायशी इलाकों, आस-पास के बाजारों और पुलिस स्टेशनों को छोड़ने वाले नागरिकों से थीं. प्रतिक्रिया के लिए जिन नागरिकों से संपर्क किया गया था, उनमें 4,056 उत्तरदाता शामिल थे, जिसमें प्रत्येक चुने गए स्थान से लगभग 60 लोग थे.
महामारी की अवधि के दौरान सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए सभी राज्यों ने पूर्ण सहयोग के साथ इस वर्ष के सर्वेक्षण में हिस्सा लिया.