जम्मू कश्मीर में अप्रैल तक तीनों नए आपराधिक कानून अमल में हों : अमित शाह

4
जम्मू-कश्मीर में तीन नए आपराधिक कानूनों को अमल में लाने के मुद्दे पर नई दिल्ली में समीक्षा बैठक की गई.
केन्द्रीय गृहमंत्री  अमित शाह ने कल  नई दिल्ली में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल  मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ केन्द्रशासित प्रदेश में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की. बैठक में जम्मू और कश्मीर में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के  महानिदेशक ( DG of BPRD), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के  महानिदेशक (DG of NCRB) समेत  गृह मंत्रालय,. तथा जम्मू -कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे .  श्री शाह ने कहा कि  तीन नए पीड़ित-केन्द्रित आपराधिक कानूनों के माध्यम से त्वरित न्याय सुनिश्चित करने में तकनीक का अधिकतम उपयोग करना चाहिए.

उन्होंने इन कानूनों का अप्रैल, 2025 तक  पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा. श्री शाह का कहना था इसके लिए पुलिसकर्मियों और प्रशासन के तौर तरीके  में बदलाव लाना और नागरिकों में इनके बारे में जागरूक  करना बहुत ज़रूरी है.  उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण में आई गति और सुरक्षा हालातों में सुधार के बाद, अब वहाँ के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना जम्मू और कश्मीर पुलिस की प्राथमिकता होनी चाहिए.  श्री शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में ट्रायल इन अब्सेंशिया (trial in absentia) के प्रावधान को त्वरित रूप से इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.

दरअसल ट्रायल इन अब्सेंशिया के प्रावधान का इस्तेमाल उन हालात में किया जाता है जब मुकदमे के दौरान अभियुक्त पेश होने से जानबूझ कर बच रहा हो. ऐसे में बिना अभियुक्त की गैर मौजूदगी में भी मुकदमे की प्रक्रिया पूरी की जाती है .

केन्द्रीय गृह मंत्री ने चार्जशीट दाखिल करने के काम में तेज़ी लाने के लिए पुलिस अधिकारियों की  ज़िम्मेदारी तय करने की ज़रूरत पर जोर डाला .  उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर के हर पुलिस स्टेशन को नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट  आइडेंटिफिकेशन  (NAFIS) का  ज्यादा से ज्यादा  इस्तेमाल करना चाहिए  जांच अधिकारियों का नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में शत-प्रतिशत प्रशिक्षण जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए.  श्री शाह ने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित प्रावधानों का पुलिस अधीक्षक के स्तर पर पूर्ण विवेचन के उपरांत ही निर्णय करना चाहिए. इन प्रावधानों का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए सख्त निगरानी  की ज़रूरत  है.

श्री शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन और सरकार ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद नए कानूनों के कार्यान्वयन की दिशा में संतोषजनक काम किया है लेकिन साथ ही कहा   कि जम्मू और कश्मीर में तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर मासिक, पाक्षिक और साप्ताहिक रूप से होनी चाहिए.

भारत में लाए गए तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 हैं और यह  1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हैं.