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उन्होंने इन कानूनों का अप्रैल, 2025 तक पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा. श्री शाह का कहना था इसके लिए पुलिसकर्मियों और प्रशासन के तौर तरीके में बदलाव लाना और नागरिकों में इनके बारे में जागरूक करना बहुत ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण में आई गति और सुरक्षा हालातों में सुधार के बाद, अब वहाँ के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना जम्मू और कश्मीर पुलिस की प्राथमिकता होनी चाहिए. श्री शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में ट्रायल इन अब्सेंशिया (trial in absentia) के प्रावधान को त्वरित रूप से इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने चार्जशीट दाखिल करने के काम में तेज़ी लाने के लिए पुलिस अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करने की ज़रूरत पर जोर डाला . उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर के हर पुलिस स्टेशन को नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन (NAFIS) का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए जांच अधिकारियों का नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में शत-प्रतिशत प्रशिक्षण जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए. श्री शाह ने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित प्रावधानों का पुलिस अधीक्षक के स्तर पर पूर्ण विवेचन के उपरांत ही निर्णय करना चाहिए. इन प्रावधानों का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए सख्त निगरानी की ज़रूरत है.
श्री शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन और सरकार ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद नए कानूनों के कार्यान्वयन की दिशा में संतोषजनक काम किया है लेकिन साथ ही कहा कि जम्मू और कश्मीर में तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर मासिक, पाक्षिक और साप्ताहिक रूप से होनी चाहिए.
भारत में लाए गए तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 हैं और यह 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हैं.