भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मिली आजादी के अगले साल यानि 1948 में वजूद में आई दिल्ली पुलिस को लम्बे इंतज़ार के बाद आखिर अपने मुख्यालय के लिए अपनी बिल्डिंग मिल ही गई. संसद भवन के पास नई दिल्ली में जय सिंह रोड पर निर्मित इस बिल्डिंग का उद्घाटन, लौह पुरुष के तौर पर लोकप्रिय और देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर किया गया. दो बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 17 मंजिलों वाली ये आलीशान इमारत आठ एकड़ से भी ज़्यादा भूक्षेत्र में निजी क्षेत्र की सहभागिता से बनाई गई है. भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस मुख्यालय की इस इमारत का जब उद्घाटन किया तो 90 के दशक से अब तक दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे तकरीबन सभी रिटायर्ड अधिकारी मौजूद थे.
कई मुश्किलें आसान :
दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के लिए पुलिस अपनी इमारत की काफी समय से मांग कर रही थी. राजधानी दिल्ली के साथ बड़ी होती रही दिल्ली पुलिस के लिए काम करने के लिए वो जगह कम पड़ती रही जिसे फिलहाल आईटीओ में लोक निर्माण विभाग के एक हिस्से में बना पुलिस मुख्यालय कहा जाता है. लिहाज़ा पुलिस को अलग अलग विभागों के लिए और इमारतों में भी किराये पर जगह लेनी पड़ी. नई इमारत में ये सारे दफ्तर समाहित हो जायेंगे. इससे न सिर्फ पुलिस अधिकारियों को काम करने में सहूलियत होगी बल्कि काम की रफ़्तार भी बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही अपनी शिकायतों आदि के निवारण के लिए आने वाले लोगों के लिए भी आसानी होगी. नया पुलिस मुख्यालय कम भीड़ भाड़ वाली जगह पर है और यहाँ पार्किंग की भी बेहतर व्यवस्था है.
ऐसी है इमारत :
कनाट प्लेस और संसद भवन के बीच में जय सिंह रोड पर बंगला साहब गुरुद्वारे के पास दो टावर वाली पुलिस मुख्यालय की इस इमारत में दफ्तर तो हैं ही, अधिकारियों के लिए 12 आवासीय परिसर भी हैं. ये सिसमिक ज़ोन 5 के तहत भूकम्परोधी डिज़ायन होने की वजह से मज़बूत इमारत तो है ही साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी है. इसे बनाने में फ्लाई ऐश (बिजली तापघर से निकलने वाली राख) की ईंटों एएसी ब्लॉक्स इस्तेमाल किए गये हैं. इन्हें जोड़ने में विशेष सामग्री का इस्तेमाल किया गया है ताकि परम्परागत तरीके से निर्माण की तरह पानी और उपजाऊ मिट्टी इसके लिए नष्ट न की जाए. इमारत में ऐसे सिस्टम का प्रावधान है जिससे बरसाती पानी को जमा करके उसे पूरी तरह इस्तेमाल के योग्य बनाया जा सके. साथ ही सिवरेज को भी यहाँ रिसाइकिल करके उसका इस्तेमाल बागवानी और फ्लश में किया जा सकेगा. इसके लिए भी ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद है.
ऊर्जा बचाने के मकसद से पूरी इमारत में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं और खिड़कियों में डीजीयू शीशे लगाये गये हैं जो कम गर्मी पैदा करते हैं.
कुछ और प्रावधान :
पार्किग के लिए बेसमेंट दोगुनी ऊंचाई वाली दोमंजिलें हैं जिनमें पर्याप्त हवा और रोशनी है. साथ ही 500 सीटों वाला आधुनिक ऑडिटोरियम और मीडिया ब्रीफिंग के लिए बन्दोबस्त है और मीडियाकर्मियों के लिए लाउंज भी है. आने जाने में बच्चों या दिव्यांग जनों को दिक्कत न हो, निर्माण के साथ इसका भी ख्याल रखा गया है.