भारत की आंतरिक सुरक्षा में मुस्तैद केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ CRPF) के जवानों की वीरता और इसके ऑपरेशंस से जुडी जानकारियों से भरपूर किताब गौरव गाथाओं के संकलन ‘ द शौर्य अनबाउन्ड ‘ (The Shaurya Unbound) का आज विमोचन किया गया. विमोचन के लिए आज की तारीख यानि 13 दिसम्बर और जगह संसद भवन को ख़ासतौर पर चुना गया क्यूंकि आज से 19 साल पहले इसी दिन और इसी जगह सीआरपीएफ के जवानों ने शूरवीरता के इतिहास में साहस और शहादत का एक गौरवमयी पन्ना जोड़ा था. 13 दिसम्बर 2001 को संसद भवन के प्रांगण में घुस आये आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए जो सुरक्षा कर्मी शहीद हुए थे उनमें सिपाही कमलेश कुमारी भी थी जिन्हें अशोक चक्र से सम्मानित (मरणोपरांत) किया गया.
संसद पर हमले की बरसी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पुस्तक के हिंदी ‘समुंद समावे बून्द में’ और अंग्रेजी संस्करण ‘ द शौर्य अनबाउन्ड’ (The Shaurya Unbound) का विमोचन किया. साथ में लेखक सीआरपीएफ की उप महानिरीक्षक सुश्री नीतू, डीआईजी एम धिनाकरन.संसद भवन में अत्याधुनिक हथियारों और गोला बारूद के साथ दाखिल हुए आतंकवादियों के हमले को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाने वाले चार और जवानों को शौर्य चक्र प्रदान किये गये थे. ये हैं हेड कांस्टेबल यम बहादुर थापा, कांस्टेबल डी संतोष कुमार, कांस्टेबल सुखविंदर सिंह और कांस्टेबल श्याबीर सिंह. इनकी वीरता भरे कार्य को इस संकलन में जगह दी ही गई वहीं साहसी और विशिष्ट काम करने वाले सीआरपीएफ कार्मिकों के पारिवारिक व निजी जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है. भारत के सबसे बड़े केन्द्रीय पुलिस बल सीआरपीएफ के वीरों और वीरांगनाओं की वीरता के कृत्यों को 2000 से अधिक वीरता पदक से सम्मानित किया जा चुका है. ये किसी भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में सबसे ज्यादा है. पुस्तक में, वीरता के लिए चक्र से सम्मानित 13 वीरों/वीरांगनाओं की शौर्य गाथाएं हैं.
ये सर्वोच्च शांति काल वीरता पुरस्कार-अशोक चक्र, वीर चक्र, और शौर्य चक्र प्राप्त कर्ताओं की वीरगाथाएं हैं. चूंकि सीआरपीएफ वर्षों से शांति स्थापित करने हेतु अंतरराष्ट्रीय मिशंस पर विदेश में तैनात होती रही है, विदेशी मुल्क में लिखी गयी विशिष्ट शौर्यगाथा को भी इस पुस्तक में शामिल किया गया है.
संसद पर हमले की बरसी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन स्थित अपने कार्यालय में पुस्तक के हिंदी ‘समुंद समावे बून्द में’ और अंग्रेजी संस्करण ‘ द शौर्य अनबाउन्ड’ (The Shaurya Unbound) का विमोचन किया. इस अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि उन्हें यकीन है कि यह पुस्तक सभी के दिलों को गर्व से भर देगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी. पुस्तक के बारे में खुशी ज़ाहिर करते हुए, सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ ए.पी. महेश्वरी ने कहा कि ये सच्ची कहानियाँ हमारी विरासत हैं और हरेक नागरिक को इन कहानियों के बारे में जानने और उन पर गर्व करने का अधिकार है. ये किताब सीआरपीएफ की उप महानिरीक्षक सुश्री नीतू, डीआईजी एम धिनाकरन ने लिखी है जिसमें इनकी टीम के अन्य सदस्यों डीआईजी सहायक कमांडेंट अमित और इंस्पेक्टर दीपक सक्सेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ ऑपरेशन्स की सूक्ष्म जानकारियों व विवरण को अपने विश्लेषण के साथ प्रस्तुत करने का काम लेखकों ने बखूबी किया गया है. पुस्तक केवल ऑपरेशन की कार्रवाई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इन वीरों के व्यक्तिगत जीवन और भावनाओं तक पहुँचती हैं जो अक्सर अनजाने और अनछुए रह जाते हैं. पुस्तक में इन निडर योद्धाओं के जीवन के दिलचस्प किस्सों का भी जिक्र मिलता है. देश के नागरिकों को समर्पित और कर्तव्य की वेदी पर सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करती यह पुस्तक वीरता के लिए श्रद्धा, सटीकता के लिए निष्ठा, और सबसे महत्वपूर्ण देशभक्ति के जुनून के साथ लिखी गयी है.