केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से रिटायर हुए ऐश मोहम्मद को इतनी तकलीफ़ और दर्द श्रीनगर के उस खौफनाक बम धमाके ने शायद नहीं दिया जितना उन्हें आसपास की कालोनियों से आये लोगों ने 25 फरवरी को दिया. अपने बेटे के साथ छत से पड़ोसी के घर कूदकर जान बचाकर निकले 58 वर्षीय ऐश मोहम्मद आज आंसुओं में थे जब उन्हें सीआरपीएफ के मुख्यालय में महानिदेशक डाक्टर एपी महेश्वरी ने आर्थिक मदद के तौर पर उन्हें 11 लाख रुपये का चेक दिया.
खौफ, नफरत और हैवानियत :
उस दिन दिल्ली के उत्तर पूर्व जिले के भगीरथी विहार में धर्म के नाम पर नफरत की जो गंगा बहाई गई उसने उस ऐश मोहम्मद को अन्दर तक तोड़ डाला जिसने 22 साल सीआरपीएफ में देश के अलग अलग हिस्सों तैनात रहकर सेवा की. उस रोज़ ऐश मोहम्मद और उनका पुत्र ही घर थे. परिवार के बाकी सदस्य एक शादी में शरीक होने के लिए बुलंदशहर गये हुए थे. न जाने कहाँ से दंगाइयों का हुजूम आया. उन्होंने पहले उनके घर के बाहर पार्क दो दुपहिया वाहनों को आग लगाई. पडोस में रहने वाले हिन्दू परिवार की रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद दंगाइयों ने ऐश मोहम्मद के घर को आग लगा दी और लूटपाट की. लोगों ने पुलिस नियन्त्रण कक्ष से सहायता के लिए पुलिस को बार बार फोन किया लेकिन देर तक कोई मदद न आई. ऐश मोहम्मद और उनके बेटे ने तब छ्त से पड़ोसी के घर में कूद कर किसी तरह से खुद को बचाया. अभी मुस्तफाबाद इलाके में सरकारी दंगा राहत कैम्प में उनको रहना पड़ रहा है.
ऐश मोहम्मद 2002 में सीआरपीएफ से रिटायर हुए थे. 1991 में, जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, तब श्रीनगर में तैनाती के वक्त बम धमाके में ऐश मोहम्मद घायल भी हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट को भी शिकायत :
अपने साथ हुए इस तकलीफ भरे वाकये के बारे में ऐश मोहम्मद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर और स्थानीय पुलिस यानि गोकुलपुरी के एसएचओ और सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को भी लिखित शिकायत भेजी है. मीडिया में आने के बाद ये चर्चा का भी विषय बन गया है.
जब ऐश मोहम्मद को चेक दिया :
वहीं आज ऐश मोहम्मद को सीआपीएफ़ मुख्यालय बुलाया गया. यहाँ भी उन्होंने अधिकारियो को आपबीती सुनाई. सीआरपीएफ के महानिदेशक डाक्टर ए पी महेश्वरी ने जब रिटायर्ड हवलदार ऐश मोहम्मद को चेक दिया तो वो बेहद मार्मिक पल थे. ऐश मोहम्मद की आँखों में आंसू थे और महानिदेशक डाक्टर ए पी महेश्वरी समेत वहां मौजूद तमाम अधिकारी बेहद भावुक हो उठे. सीआरपीएफ के महानिदेशक ने इस अवसर पर कहा कि वो चाहे सीआरपीएफ रिटायर्ड कार्मिक हों या शहीद कार्मिक के परिवार, सभी इस बल की विस्तृत कुनबे का हिस्सा हैं. उनकी मदद करना मानवीय और नैतिक कर्तव्य भी है.