CRPF का एक इंस्पेक्टर फोर्स के साथ साथ कोरियाई नागरिक यून सेंग्यून का भी हीरो बना

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सीआरपीएफ़
कोरियाई नागरिक यून सेंग्यून के साथ सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर.

भारत और भारतीयता से इस कोरियाई नागरिक को इतना प्रेम हुआ कि ये हिंदी सीखने लगा और इसके लिए भारत ही आ गया. लेकिन कल इसके भारत प्रेम में, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के एक इंस्पेक्टर ने इज़ाफा कर दिया. कोरियाई नागरिक यून सेंग्यून के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में जो कुछ घटित हुआ वह बहुत अनहोनी किस्म की बात भले न हो लेकिन है असरदार और खासकर जब देश की छवि की बात हो.

इस दिलचस्प कोरियाई नागरिक की जीवनकथा भी जानने लायक है लेकिन फिलहाल कल की घटना यहाँ लिखना ज़रूरी है जिसमें हीरो हैं सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर जो बल की आयुध शाखा में तैनात हैं. रोज़ाना की तरह दफ्तर आते वक्त, रास्ते में कैलाश कालोनी के पास सड़क पार करते हुए उन्हें वालेट पड़ा मिला जो सम्भवत: किसी की जेब से गिर गया था. उन्होंने उठाकर खोला तो उसमें 2000 के कुछ नोट के अलावा और भी करेंसी थी. साथ ही कोरिया के वूरी बैंक और डायनर्स क्लब इंटरनेशनल के कार्ड भी थे. ये तो समझ आ रहा था कि किसी कोरियाई नागरिक का ये पर्स हो सकता है लेकिन इसमें ऐसा एक भी कार्ड या कागज़ नहीं था जिस पर इसके मालिक का पता या फ़ोन नम्बर हो ताकि उससे संपर्क किया जा सके.
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सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर (फाइल फोटो)

प्रवृत्ति से ईमानदार इंस्पेक्टर भावसर को छटपटाहट हो रही थी, “पर्स का मालिक परेशान हो रहा होगा, उस तक इसे कैसे पहुंचाया जाए?”. उन्होंने सीजीओ स्थित सीआरपीएफ मुख्यालय पहुंचकर पास के लोदी कालोनी थाने में इसकी औपचारिक सूचना तो दे दी लेकिन पर्स के मालिक तक उसे पहुँचने की कोशिश भी अपने स्तर पर करते रहे. आखिर इन्टरनेट की मदद से उन्हें इसमें कामयाबी मिल ही गयी. उन्होंने वूरी बैंक के गुरुग्राम स्थित ब्रांच का नंबर खोजकर संपर्क किया. बैंक के कर्मचारी ने बताये ब्योरे के आधार पर कोरियाई नागरिक यून सेंग्यून को कॉल करके, उनके गुम हुए सामान के बारे में बताया और सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर का नम्बर दिया. इंस्पेक्टर जय प्रकाश बताते हैं, “दोपहर बाद कोरियाई नागरिक ने उन्हें फोन पर संपर्क किया और उनके दफ्तर आ गये.” परेशान यून सेंग्यून का नुकसान भी होने से बचा और एक ईमानदार सीआरपीएफ इंस्पेक्टर की टेंशन भी ख़त्म हुयी. कोरियाई नागरिक ने इंस्पेक्टर को पुरस्कृत करना चाह लेकिन इंस्पेक्टर भावसर ने नम्रता ने अस्वीकार कर दिया.

मध्य प्रदेश के विदिशा के एक गाँव के रहने वाले जय प्रकाश भावसर 1988 में सीआरपीएफ में बतौर सहायक सब इन्स्पेक्टर (ASI ) भर्ती हुए. यहाँ मुख्यालय में तैनाती से पहले वे वहीँ के ग्रुप सेंटर में तैनात थे. इंस्पेक्टर भावसर कहते हैं, ‘मेरे साथ ऐसी छोटी मोटी घटनाएं पहले भी हुई हैं, कई बार मैंने दुकानदार के वापस मिले ज़्यादा पैसे लौटाए लेकिन कल की घटना से संतुष्टी भी मिली’. वहीं, दक्षिण कोरिया से भारत में हिंदी सीखने आये 33 वर्षीय यून सेंग्यून भी उनके प्रयासों और जज्बे के कायल हो गये. साथ ही कायल हुए एक भारतीय की ईमानदारी के. यून सेंग्यून टूटी-फूटी हिन्दी बोलते हैं. बताते हैं ,’ मैं दक्षिण दिल्ली की कैलाश कालोनी में “ज़बान” संस्थान में हिंदी सीखने जाता हूँ. कल वहीँ जाते हुए रास्ते में उनकी जेब से वालेट गिर गया था’.

रक्षक न्यूज़ की टीम की तरफ से भी इंस्पेक्टर जय प्रकाश को उनके जज्बे के लिए सलाम.

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सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर
सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर जय प्रकाश भावसर पर्स और रकम दिखाते हुए.