क्या 14 फरवरी 2019 को केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल के काफिले पर जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए उस हमले को रोका जा सकता था जिसमें 40 जवानों की जान गई थी? पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली इस अति दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर आज तीन साल बाद ये सवाल इसलिए उठा है क्योंकि इसे लेकर जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू में रहस्योद्घाटन किये हैं. ये इंटरव्यू उन्होंने जाने माने पत्रकार करण थापर को दिया है. सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू में बेहद विस्तार से पुलवामा हमले से ठीक पहले के हालात के बारे में जानकारियां देते हुए जिस तरह से बताया है उससे स्पष्ट होता है ये वारदात सुरक्षा में लापरवाही और भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र की नाकामी का मिलाजुला नतीजा था. सत्यपाल मलिक का यहां तक आरोप है कि इसे लेकर उनको खामोश रहने की हिदायत भी लगातार दी गई.
जम्मू कश्मीर के अलावा भी कई राज्यों में राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ( former governor satya pal malik ) कुछ मुद्दों को लेकर सरकार के विरुद्ध रहे हैं. जब राज्यपाल थे तब भी बोलते थे लेकिन इस बार जो उन्होंने बताया वो सच में झटका देने वाली सूचना है. सत्यपाल मलिक का ये इंटरव्यू बहुभाषी डिजीटल मीडिया प्लेटफार्म ‘द वायर’ नाम के चैनल पर प्रसारित हुआ है जिसने भारत के सियासी हलकों में भी तूफ़ान खड़ा कर दिया है.
जम्मू कश्मीर ( jammu and kashmir) के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने बताया कि फरवरी 2019 में सीआरपीएफ ( crpf ) के जिस काफिले पर जम्मू-श्रीनगर हाई वे पर हमला हुआ उसके जवानों को दरअसल हवाई जहाज़ से लाने के लिए पहले ही अनुरोध किया गया था लेकिन केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हवाई जहाज़ मुहैया कराने से मना कर दिया था. वो मानते हैं कि इतनी बड़ी तादाद में जवानों को सडक के रास्ते लाना सही था ही नहीं. यही नहीं जिस हाई वे से सीआरपीएफ का ये काफिला आ रहा था उससे जुड़े रास्तों यानि लिंक मार्गों से आने वाले ट्रैफिक पर कोई कंट्रोल नहीं था. यानि यहां सुरक्षा पूरी नहीं बरती गई. यहां गलती सीआरपीएफ की भी थी.
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ‘ द वायर’ को दिए इस इंटरव्यू में यहां तक बताया कि काफिले में धमाका करने में इस्तेमाल हुई कार विस्फोटक से लदी हुई कई दिनों तक कश्मीर के विभिन्न गांवों में घूमती रही और किसी को इसका पता भी नहीं चला. सत्यपाल मलिक ने माना कि ये खुफिया तंत्र की नाकामी थी. उनका कहना था कि कायदे से तो इतनी बड़ी संख्या में जवानों को लाने के लिए हवाई जहाज़ देना ही चाहिए थे. ये फैसला उस वक्त केन्द्रीय गृह मंत्रालय को करना था जिसके प्रभारी तब राजनाथ सिंह थे. राजनाथ सिंह वर्तमान में भारत केन्द्रीय रक्षा मंत्री हैं.
मैं मंत्री होता तो इस्तीफ़ा दे देता :
सत्यपाल मलिक का मानना है कि सरकार को इस लापरवाही और नाकामी के बारे में कबूल करना चाहिए था. उनका माना कि अगर वे उस स्थिति में खुद केन्द्रीय गृह मंत्री होते तो इस्तीफ़ा दे देते.
पुलवामा हमला (pulwama attack) क्या था :
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी 2019 को एक आतंकवादी आदिल अहमद डार बारूद से भरी हुई कार लेकर सीआरपीएफ के काफिले से टकरा गया था. ये वारदात लेथपोरा गांव के बाहर हुई थी. सीआरपीएफ के चालीस जवानों ने इस हमले में अपने प्राण गंवा दिए थे. इसमें आतंकवादी आदिल भी मारा गया था. वो भी पुलवामा का रहने वाला था. आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद ने इस वारदात की ज़िम्मेदारी ली थी. पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने वहां की संसद में पुलवामा हमले के लिए अपनी सरकार और सेना की पीठ भी थपथपाई थी. 2021 तक, वारदात की साजिश में शामिल 6 और लोग मारे गए थे और कुल मिलाकर सात लोग गिरफ्तार भी हुए थे.