केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल की रेपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की 28 वीं सालगिरह के मौके पर आज हरियाणा के गुरुग्राम में कादरपुर सीआरपीएफ अकादमी में शानदार परेड का आयोजन किया गया. दंगाइयों, उपद्रवियों और भीड़भाड़ वाले हालात को नियंत्रण करने जैसे संवेदनशील काम के लिए गठित आरएएफ बनाई तो 11 दिसंबर 1991 में गई थी लेकिन इसने पूरी तरह से काम करना 7 अक्तूबर 1992 में शुरू किया था. केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर आये. बल के महिला दस्ते की राइफल ड्रिल इस समारोह में आकर्षण का केन्द्र रही और इसी मौके पर आरएएफ गीत का भी लोकार्पण किया गया.
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस मौके पर अपने सम्बोधन में दिल्ली दंगों के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाने में मदद करने पर बल की सराहना की. मानवीयता की दृष्टि से किये गए काम और संयुक्त राष्ट्र मिशनों में विदेशों में तैनाती के दौरान निभाई गई बल के शांतिदूतों की भूमिका की भी श्री राय ने तारीफ की.
इस अवसर पर सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. ए. पी. महेश्वरी ने देशवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि बल पूरी प्रतिबद्धता और साहस के साथ देश की सेवा करता रहेगा. महानिदेशक श्री महेश्वरी ने बदलते परिवेश में बल की नई भूमिका का ज़िक्र करते हुए कहा कि समाज में बढ़ते असंतोष और अशांति पैदा करने के लिए असामाजिक तत्व धीरे धीरे साइबर स्पेस और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन चुनौतियों से निपटने की दिशा में आरएएफ ने खुद को तैयार कर लिया है.
खास आकर्षण :
कार्यक्रम के दौरान बल के लिए तैयार किये गये गीत का भी लोकार्पण किया गया. ‘सब जगह शान्ति की स्थापना’ की कामना वाला ये गीत जाने माने गायक शान की आवाज़ में है. आरएएफ गीत की रचना महबूब आलम कोटवाल ने की है जबकि रंजित बारोट ने संगीतबद्ध किया है. परेड के समापन पर आरएएफ की वीरांगनाओं ने बेहद दिलचस्प रायफल ड्रिल की जो एक तरह से कला, अनुशासन और आपसी तालमेल का ख़ूबसूरत नमूना कहा जा सकता है.
परेड और तमाम कार्यक्रमों के दौरान कोविड 19 महामारी से लड़ने के लिए, तय किये गये प्रोटोकॉल का भी सख्ती से पालन किया गया. उचित दूरी बना कर रखने के साथ साथ फेस मास्क आदि जैसे वो तमाम उपाय किये गये थे जिसका सरकार ने निर्देश दिया हुआ है.
आरएएफ की खासियत :
गहरे और हलके नीले रंग की कैमोफ्लेज वर्दी धारी आरएएफ के जवान खास तौर से उन हालात को नियंत्रित करने में ट्रेंड किये जाते हैं जहाँ सांप्रदायिक दंगा फसाद हो रहा हो, उपद्रव और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया जा रहा हो या किसी तरह के आन्दोलन आदि में अनियंत्रित हुई भीड़ को काबू करके अमन चैन कायम करना हो. इसके जवान विभिन्न प्रकार के ऐसे उपकरण या हथियार इस्तेमाल करते हैं जो घातक न हों. इन्हें खासतौर से मानवीय दृष्टिकोण बनाये रखने की ट्रेनिंग दी जाती है. ज़रूरत पड़ने पर इन जवानों को अन्य काम में भी लगाया जाता है. जैसे उत्सवों और त्यौहार के मौके पर सुरक्षा ड्यूटी पर या फिर चुनाव आदि में सुरक्षा प्रबंध पर.