जो नक्सली कुछ देर पहले तक केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF-सीआरपीएफ) के कोबरा कमांडो के बंदूक के निशाने पर था उसी की जान बचाने की खातिर सीआरपीएफ के ही जवान ने अपना खून दिया. इंसानियत और सच्चे सिपाही के जज्बे की ये मिसाल सीआरपीएफ की ही 133वीं बटालियन में तैनात जवान राजकमल ने पेश की है.
ये घटना उस झारखंड सेक्टर की है जहां हिंसक नक्सली सुरक्षा बलों को नफरत से देखते हैं और हमेशा उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए खतरनाक से खतरनाक तरीके खोजते रहते हैं. सोमपुत्री नाम का ये नक्सली भी ऐसे ही इरादे से अपने गुट के साथ सीआरपीएफ की 209 कोबरा (COBRA) बटालियन के कमांडो दस्ते से मुकाबला कर रहा था. घमासान दोतरफा फायरिंग के बीच सोमपुत्री घायल हो गया. जो जवान उसे मारना चाहते थे उन्हीं में उस नक्सली के प्रति दयाभाव जागा और सीआरपीएफ जवानों ने ही उसे इलाज मुहैया कराया.
बात सिर्फ इतनी ही नहीं बुरी तरह घायल इस नक्सली को झारखण्ड पुलिस ने रांची के राजेन्द्रा अस्पताल में भी भर्ती कराया लेकिन नक्सली सोमपुत्री का काफी खून बह गया था. डाक्टरों ने उसे जब खून चढ़ाये जाने की जरूरत बताई तो B+ ब्लड ग्रुप वाले सिपाही राजकमल ने खुद को हाज़िर कर दिया. सिपाही राजकमल ने वहीं पर सोमपुत्री के लिए रक्तदान किया. राजकमल के इस काम की अस्पताल के लोग ही नहीं, सीआरपीएफ के बड़े बड़े अफसर भी तारीफ़ कर रहे हैं.
सीआरपीएफ में पहली बार या इकलौती घटना नहीं है. इससे पहले झारखंड सेक्टर के ही पलामू में ठीक साल भर पहले यानि 8 फरवरी को फायरिंग में घायल हुई महिला नक्सली मंजू बैगा को भी इसी 133 वीं बटालियन के जवान गुलज़ार ने खून दिया था और उसकी जान बचाई थी.