जीवन के दौरान ही नहीं मृत्यु के बाद भी केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (crpf – सीआरपीएफ) के जवानों ने देश की सेवा करने का तरीका खोज निकाला है. सौ दो सौ या हज़ार दो हज़ार नहीं, तकरीबन 80 हजार सीआरपीएफ जवानों या उनके परिवार वालों ने मृत्यु के बाद अपने अंगदान करने की कसम खाई है. भारत में राष्ट्रीय अंगदान दिवस के अवसर पर आज (27 नवंबर 2020) सीआरपीएफ की तरफ से किये गये इस ऐलान की केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने जमकर तारीफ़ की है.
देश की आजादी की सालगिरह यानी इसी साल स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शुरू किये गये अभियान ‘ ई -संजीवनी’ के समापन के अवसर पर आज एक कार्यक्रम में इस आंकड़े का खुलासा किया गया. दिल्ली में आयोजित ये एक वेबिनार था जिसमें सीआरपीएफ के महानिदेशक डा एपी महेश्वरी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया भी इस अवसर पर मौजूद थे.
डा हर्षवर्धन ने भारत की आंतरिक सुरक्षा में सीआरपीएफ की तरफ से निभाई जा रही भूमिका की सराहना तो की ही साथ मानव कल्याणार्थ किये जा रहे अंग दान शपथ अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए भी खूब तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि इतने लोगों का नेक काम के लिए शपथ लेना अप्रत्याशित है ही लेकिन सीआरपीएफ जवानों का ऐसा करना देश के आम नागरिकों को भी अंग दान को प्रेरित करेगा. सीआरपीएफ ने 22 नवम्बर को 5000 किलोमीटर के साइकलोथन में भी हिस्सा लिया जो अंग दान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए किया गया था.
सीआरपीएफ के महानिदेशक डा एपी महेश्वरी ने कहा कि अंगदान शपथ अभियान में हिस्सा लेने वाले जवानो के संकल्प और प्रतिबद्धता पर उन्हें गौरव महसूस होता है. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के सुरक्षा योद्धाओं ने अपनी ड्यूटी के अलावा भी हमेशा मानवता की सेवा के लिए काम करने का समय समय पर प्रदर्शन किया है. अभियान की सफलता के लिए वेबिनार में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और इसके मानव अंग दान कराने वाले विभाग ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ओआरबीओ) की तारीफ़ की गई. ओआरबीओ की प्रमुख प्रोफेसर आरती विज ने इस बात का ज़िक्र करते हुए कहा कि वो कोई और नहीं बल्कि सीआरपीएफ की ही महिला बटालियन थी जिसने महिला दिवस के मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सामने अंगदान की शपथ ली थी.