आतंकवादी हमले में अपना कैम्प बचाते सीआरपीएफ का वीर हवलदार कुर्बान

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सीआरपीएफ
अपनी जान गंवा कर आतंकवादियों के हमले से अपने कैम्प को बचाने वाले सीआरपीएफ हवलदार चन्द्रिका प्रसाद.

आतंकवाद ग्रस्त राज्य जम्मू कश्मीर में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ-CRPF) के हवलदार चन्द्रिका प्रसाद ने आतंकवादियों के हमले से अपने कैम्प को तो बचा लिया लेकिन इस कोशिश अपने प्राणों की आहुति दे दी. सीआरपीएफ के 53 वर्षीय हवलदार चन्द्रिका प्रसाद की बहादुरी की ये घटना पुलवामा के काकापोरा की है जहां आतंकवाद निरोधक कार्रवाई और पंचायत चुनाव में कानून व्यवस्था बनाये रखने में स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद के लिए सीआरपीएफ की 183 बटालियन का ये कैम्प लगाया गया था.

सीआरपीएफ के तीस साल के अनुभवी हवलदार चन्द्रिका प्रसाद पुलवामा के काकापोरा में लगाये गये इस कैम्प के गार्ड कमांडर थे और रविवार (18 नवंबर) की शाम कैम्प की बाहरी हिस्से में मोर्चे पर तैनात थे. उस वक्त अँधेरा था और आतंकवादियों ने अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर से हमला किया और फायरिंग की.

चन्द्रिका प्रसाद और उनके साथियों ने आतंकवादियों का डटकर मुकाबला किया. आतंकवादी अँधेरे का फायदा उठाकर भाग खड़े हए लेकिन मुकाबले के दौरान हवलदार चन्द्रिका प्रसाद के पेट में गोली लग गई. उन्हें वहीं पर फर्स्ट ऐड दिया गया और फिर पास के ही अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने प्राण त्याग दिए.

चन्द्रिका प्रसाद उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले की खटीमा तहसील के झनकहिया थानान्तर्गत खेलरिया गाँव के रहने वाले थे. वो अप्रैल 1987 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके परिवार में पत्नी के साथ साथ 22 और 15 वर्ष के पुत्र और 19 वर्षीया बेटी है.