भारत की बेहतरीन कमांडो फोर्स में गिनी जाने वाली केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ – CRPF) की कोबरा बटालियन (CoBRA – Commando Battalions for Resolute Action ) के एक कमांडो को सरेआम अपमानित करने, बुरी तरह डंडे से मारने और फिर थाने में हथकड़ी और जंजीर में बांधकर रखने का दुर्भाग्यपूर्ण मामला कर्नाटक राज्य में सामने आया है. ये मामला स्थानीय पुलिस के काम करने के तौर तरीके पर भी सवाल खड़े करता है. सचिन सावंत नाम का ये कमांडो अभी न्यायिक हिरासत में जेल में है. इस पूरे मामले पर सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कर्नाटक पुलिस के महानिदेशक को पत्र भी लिखा है.
मामले की शुरुआत :
घटना कर्नाटक के बेलगावी ज़िले के चिक्कोड़ी तालुका के यकसम्बा गाँव की है जहां सचिन सावंत अपने घर छुट्टी मनाने आया हुआ था. उसकी छुट्टियां तो 11 अप्रैल को खत्म हो गई थीं लेकिन लॉक डाउन की वजह से सार्वजानिक वाहनों और रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद होने से उसकी भी छुट्टियां बढ़ गई थीं. ये घटना 23 अप्रैल की है जब कोबरा कमांडो सचिन सावंत अपने घर के बाहर गली में अपनी मोटर साइकिल साफ़ कर रहा था. तभी वहां से गुज़र रहे दो पुलिसकर्मी उसके पास आकर रुके. कर्नाटक पुलिस के इस कर्मियों ने गली में खड़े होने पर भी मास्क न लगाने पर एतराज़ किया. कमांडो सचिन ने अपना परिचय पुलिसकर्मियों को देते हुए बताया कि वो वहां पर खड़े होकर सिर्फ मोटर साइकिल की सफाई कर रहा है, कहीं जा नहीं रहा. पुलिसकर्मियों ने जब अपनी बात पर ज़ोर दिया तो दोनों पक्षों के बीच कहासुनी हुई. सचिन ने उनसे कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के हालात से वो खुद भी वाकिफ है क्यूंकि वो खुद पुलिस फोर्स का सदस्य है. वो कहीं जा नहीं रहा, घर के बाहर ही खड़ा है इसलिए मास्क लगाने की ज़रूरत नहीं है.
यूँ हुई मारपीट:
ये कहासुनी अचानक हाथापाई में तब्दील हो गई. उसी दौरान गली में खड़े किसी व्यक्ति ने इस घटनाक्रम का वीडियो अपने मोबाइल फोन में रिकार्ड कर लिया जो वायरल भी हो गया. इसमें शुरू से लेकर अंत तक पुलिसकर्मी कमांडो सचिन के साथ ऐसे पेश आते दिखाई दे रहे हैं मानो वो कोई गुंडा मवाली हो. एक पुलिसकर्मी ने उसको कमर से दबोच रखा है और उसके एक हाथ में डंडा भी है. दूसरे पुलिसकर्मी के साथ हाथापाई शुरू होते ही, सामने ही खड़ी एक महिला बीच बचाव करने आती है हालांकि इस दौरान गली में सामान्य आवाजाही होती दिखाई दे रही है. सचिन महिला को दूर रहने के लिए झटक सा देता है. इस बीच महिला जैसे ही पीछे होती है, सचिन को पीछे से पकड़े हुए पुलिसकर्मी डंडे से बुरी तरह मारना शुरू कर देता है. महिला फिर बीच बचाव के लिए आती है. वो पुलिसकर्मी से डंडा खींच लेती है और इस धक्का मुक्की में और भी शामिल हो जाते हैं. सचिन और पुलिसकर्मी मोटरसाइकिल समेत गिर जाते हैं. इस बीच सचिन पर मुक्कों से प्रहार होते हैं.
पुलिस की कार्रवाई :
मारपीट के बाद कर्नाटक पुलिस के कर्मी सचिन को सरेआम ज़लील करते थाने ले गये. उसके खिलाफ़ सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा पहुँचाने, मारपीट करने आदि धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया. वहां उसको हथकड़ी और जंजीरों में ऐसे बांधकर रखा जैसे किसी आतंकी को भी नहीं रखा जाता. इसके बाद अगले दिन सचिन को स्थानीय अदालत में पेश किया गया. अदालत ने कमांडो सचिन को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भिजवा दिया.
गलती किसकी :
कर्नाटक पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि झगड़े की शुरुआत सचिन और पुलिसकर्मियों के बीच ‘राज्य पुलिस और केन्द्रीय पुलिस’ को लेकर शुरू हुई बहसबाज़ी से हुई. वैसे कहा ये भी जा रहा है कि घर में किसी बात को लेकर तब सचिन का मूड खराब था और वो चिढ़ा हुआ था. इसी बीच पुलिसकर्मी भी आकर उससे अकड़ के या बदतमीज़ी वाले रवैये से बात कर रहे थे. सीआरपीएफ के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में सरासर गलती कर्नाटक पुलिस की लगती है लेकिन इसका सही सही पता तो जांच होने के बाद और सचिन से बातचीत के बाद लगेगा. सचिन से बात हो नहीं पाई क्यूंकि उसे जेल भेजा जा चुका है. जिस वक्त कमांडो सचिन को गिरफ्तार किया गया तब न तो सचिन के परिवार वालों ने और न ही स्थानीय पुलिस ने सीआरपीएफ के अधिकारियों को सूचित किया. यदि ये तभी पता चलता तो मामले को सम्भवत: निपटा लिया जाता.
सीआरपीएफ ने कहा :
सीआरपीएफ के प्रवक्ता डीआईजी एम. दिनाकरन ने रक्षक न्यूज़ से बातचीत में कहा कि हम इस मामले को कर्नाटक प्रदेश के पुलिस प्रमुख तक पहुंचा चुके हैं. मंगलवार को सचिन सावंत की ज़मानत याचिका पर सुनवाई होगी और हमारी कोशिश होगी कि सचिन सावंत को ज़मानत मिल जाए. इसके बाद मामले को तार्किक नतीजे तक पहुंचाने के लिए जांच की जायेगी. लेकिन श्री दिनाकरन ने सवाल भी उठाया कि सचिन सावंत को गिरफ्तार करने के बाद स्थानीय अधिकारियों को इस गिरफ्तारी के बारे में 24 घंटे के भीतर सीआरपीएफ को बताना चाहिए था. वैसे भी उन्हें अपनी छानबीन के दौरान इस बात की भी पुष्टि करने के लिए हमसे सम्पर्क करना चाहिए था कि सचिन ने सीआरपीएफ कमांडो के नाते अपना जो परिचय पुलिस को दिया है, वो सही है या नहीं!
कौन होते हैं कोबरा कमांडो:
सीआरपीएफ के जवानों और अधिकारियों को बेहद खतरनाक ट्रेनिंग देने के बाद कोबरा कमांडो बनाया जाता है. ये सीआरपीएफ की उस कोबरा बटालियन के सदस्य होते हैं जिन्हें जंगल में रह कर वहां की परिस्थितियों में युद्ध करने की ट्रेनिंग दी जाती है. ये किन्हीं भी हालात में गुरिल्ला युद्ध करने की क्षमता रखते हैं. वर्ष 2008 में कोबरा बटालियन का गठन विशेष तौर से नक्सलियों से निपटने के लिए किया गया था. घुसपैठ के खिलाफ़ कार्रवाई में भी ये कमांडो माहिर होते है.