स्मृति दिवस : देश भर के शहीद पुलिसकर्मियों को राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर सलामी

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पुलिस स्मृति दिवस पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह

भारत के तमाम पुलिस संगठन आज अपने उन कार्मिकों की याद में ‘स्मृति दिवस’ कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं जिन्होंने ड्यूटी निभाते हुए अपनी जान गंवाई. 61 साल पहले चीनी हमले में शहीद हुये पुलिस कर्मियों को याद करने के साथ साथ उन पुलिसकर्मियों को भी सलामी दी जा रही है और श्रद्धा सुमन अर्पित किये जा रहे हैं जिन्होंने सेवा काल के दौरान ड्यूटी पर प्राण गंवाए. अपने साथियों की याद में पुलिस संगठन देश के अलग अलग हिस्सों में स्मृति दिवस परेड जैस कार्यक्रम करते हैं लेकिन इस दिन का मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में होता है जिसमें आये केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुलासा किया कि भारत के विभिन्न पुलिस संगठनों के 343 कार्मिकों ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड 19) से जारी लड़ाई में अपनी जान गंवाई है.

पुलिस स्मृति दिवस परेड का ये कार्यक्रम के दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर हुआ जिसके आयोजन की ज़िम्मेदारी भारत की खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की है. कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, आईबी निदेशक अरविंद कुमार, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.

पुलिस स्मृति दिवस पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीरगति प्राप्त जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्तूबर 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारी हथियारों से लैस चीनी सेना द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में शहीद हुए दस पुलिसकर्मियों की याद में मनाया जाता है.

अपने सम्बोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि अमर शहीदों के सर्वोच्च बलिदान के कारण ही देश चैन की नींद सोता है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष केंद्रीय सश्स्त्र पुलिस बलों (CAPF) और पुलिस के 264 कर्मी शहीद हुए और अब तक 35,398 जाँबाज पुलिसकर्मियों ने देश की खातिर अपने प्राण न्योछावर किए हैं.

कोरोना से युद्ध :

कोरोना संकट का ज़िक्र करते हुए और उससे निपटने में पुलिस संगठनों की भूमिका पर ध्यान आकर्षित करते हुए श्री शाह ने कहा कि देश के गृह मंत्री के नाते मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व होता है कि लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू करने में पुलिसबलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही. चाहे लाखों-लाखों प्रवासी मजदूरों की सहायता हो, बीमारों को अस्पताल पहुंचाना हो, ब्लड डोनेशन से लेकर प्लाज्मा डोनेशन तक करने में पुलिसकर्मियों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पुलिसकर्मियों ने पहली पंक्ति में खड़े रहकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्होंने कहा कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमारे 343 पुलिसकर्मियों ने जान गंवाई. उनके इस बलिदान को कोविड के खिलाफ लड़ाई में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

नई चुनौतियों का सामना :

पुलिस और केन्द्रीय पुलिस बलों के काम के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि देश की सीमाओं को अभेद्य बनाने के लिए मानव बल के साथ टेक्नोलॉजी को भी जोड़ने की जरूरत है और गृह मंत्रालय इसके लिए विस्तार से काम कर रहा है. उन्होंने माना कि दुनिया की अपेक्षा भारत में प्रति एक लाख व्यक्ति पर पुलिसबल की संख्या कम है लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों का भी उन्होंने ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि कई योजनाओं पर काम चल रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में संसद सत्र के दौरान रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी और फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी संबन्धित दो विधेयक पारित किए गए. रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी से छात्रों को इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी. इसी तरह फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के माध्यम से वैज्ञानिकों की कमी पूरी करने का प्रयास किया जाएगा.

कमान्डेंट राठौर परेड कमांडर :

केन्द्रीय सशस्त्र बलों और विभिन्न पुलिस संगठनों की संयुक्त परेड का नेतृत्व दूसरी बार सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर ने किया.
केन्द्रीय सशस्त्र बलों और विभिन्न पुलिस संगठनों की संयुक्त परेड का नेतृत्व दूसरी बार सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर ने किया.

इस अवसर पर केन्द्रीय सशस्त्र बलों और विभिन्न पुलिस संगठनों की संयुक्त परेड हुई जिसका नेतृत्व सीमा सुरक्षा बल को सौंपा गया था. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर इस परेड के कमांडर थे. ये दूसरा मौका था जब कमांडेंट राठौर ने स्मृति दिवस की संयुक्त परेड की कमान संभाली. ऐसा करने वाले वह बीएसएफ के पहले अधिकारी हैं.