सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ-BSF) के कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर एक बार फिर उस स्मृति दिवस परेड की कमान सम्भालेंगे जो भारत के विभिन्न केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और पुलिस संगठनों के लिए सबसे गौरवमयी और पवित्र दिन कहा जा सकता है. हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली में चाणक्यपुरी स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर 21 अक्टूबर की सुबह ये आयोजन होगा जिसमें भारत के बड़े बड़े पुलिस अधिकारी और इन संगठनों के प्रमुख भी शामिल होते हैं.
पांच फुट 11 इंच कद, अव्वल नम्बर की फिटनेस के साथ सधा हुआ शरीर, कड़क आवाज़, ज़बरदस्त जोश और रोबीली मूंछों के मालिक कमान्डेंट राठौर के लिए इस परेड को लीड करना और भी ख़ास है. कमाडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर इसकी वजह भी बताते हैं, ” मेरे लिए यह अनोखा गौरवपूर्ण रेकॉर्ड होगा कि मैं दूसरी बार इस परेड की कमान सम्भालूँगा”. कमांडेंट राठौर ऐसा करने वाले पहले अधिकारी होंगे. इससे पहले 2013 में कमांडेंट राठौर ने इस परेड की कमान तब सम्भाली थी जब कार्यक्रम आयोजन की ज़िम्मेदारी बीएसएफ को दी गई थी. ये ज़िम्मेदारी बारी बारी से अलग अलग पुलिस संगठनों को दी जाती है और इस बार भी मौका बीएसएफ को मिला है.
स्मृति दिवस परेड :
हर साल भारत में पुलिस संगठन 21 अक्टूबर को शहीद जवानों को याद करते हुए स्मृति दिवस मनाते हैं. इस मौके पर खास तरह की परेड होती है और जिन जिन राज्यों में पुलिस स्मारक बने हैं वहां या पुलिस लाइंस में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.
इस आयोजन में असम राइफल्स, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (crpf), केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (cisf), दिल्ली पुलिस, सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी – ITBP), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ-RPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी-NSG) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी-SSB) की टुकड़ियां हिस्सा लेती हैं. विभिन्न राज्यों के पुलिस झंडे के साथ उनके प्रतिनिथि इसमें शामिल होते हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो की देखरेख में ये आयोजन किया जाता है. पहले ये दिल्ली पुलिस की किंग्सवे स्थित पुलिस लाइंस में होती थी. तब दिल्ली में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक नहीं बना था.
क्या हुआ था 1959 में :
पुलिस स्मृति दिवस केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ-CRPF) के उन 10 शहीद जवानों की याद में मनाया जाना शुरू किया गया था जो 21 अक्टूबर 1959 को भारत चीन सीमा पर लद्दाख के ‘हाट स्प्रिंग’ (Hot Spring) क्षेत्र में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के हमले में जान गंवा बैठे थे. सीआरपीएफ का ये गश्ती दल अपने उन साथियों को खोजने लिए निकला था जो अभियान से लौटे नहीं थे. इस हमले में सीआरपीएफ के कुछ जवान घायल भी हुए थे जिन्हें चीन के सैनिकों ने कैद कर लिया था. दस दिन बाद चीन ने शहीद जवानों के पार्थिव शरीर भारत को सौंपे थे जिनका हाट स्प्रिंग पर ही अंतिम संस्कार किया गया था. वहीं पर एक स्मारक भी बनाया गया.
कौन हैं योगेन्द्र सिंह राठौर :
उम्र 50 के ऊपर ज़रूर है लेकिन परेड कमान करने में ऐसी महारत हासिल कर ली है कि नौजवान अधिकारी भी शायद ही मार्चपास्ट में ऐसा जलवा दिखा सके. शायद यही वजह है कि अब तक तीन बार उन्हें बीएसएफ दिवस परेड को कमांड करने का मौका मिला है और ऐसा करने वाले भी राठौर बीएसएफ के पहले अधिकारी हैं. राजस्थान के पाली ज़िले से मूल रूप से ताल्लुक रखने वाले बीएसएफ कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर फरवरी 1993 में बीएसएफ में बतौर सहायक कमांडेंट भर्ती हुए थे.
करगिल युद्ध के समय यानि 20 साल पहले कश्मीर में सीमा पर तैनाती के वक्त ऑपरेशन विजय में सक्रियता रही हो या नक्सली बहुल क्षेत्र में हिंसा से निपटना हो या फिर पूर्वोतर के त्रिपुरा प्रान्त के हिंसक हालात से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से कोसोवो में तैनाती, हर जगह कमांडेंट योगेन्द्र सिंह राठौर ने अपने काम की छाप छोड़ी.