“हम बचपन में गुरुद्वारे में लंगर की सेवा करने के लिए अक्सर आते थे. इसके लिए अलग अलग तरह के काम करने होते हैं और इनमें से कुछ काम मुश्किल, थका देने वाले, भारी सामान उठाने वाले भी होते थे. ऐसे काम हम दविंदर को दे दिया करते थे जो आसानी से कर लेता था.” सीमा सुरक्षा बल के दिवंगत कमांडेंट दविंदर सिंह को अंतिम अरदास के दौरान दिल्ली के जनकपुरी के गुरुद्वारे में श्रद्धांजलि अर्पित करते वक्त ये बात उनके बचपन के एक दोस्त ने कही तो जेहन में ये भी आया कि जीवित रहते ही नहीं बीएसएफ का ये जिंदादिल अधिकारी मृत्यु के बाद भी बड़ा भारी काम ‘नेत्रदान’ के जरिये कर गया.
कमांडेंट दविंदर सिंह के नेत्रदान की शपथ का ज़िक्र करते हुए उनके बड़े बेटे जसकरन की आँखों में चमक आ जाती है जब कानून की पढ़ाई कर रहा ये नौजवान कहता है, ‘समय पर नेत्रदान किया गया था और AIIMS के डाक्टरों ने हमें बताया कि नेत्र, रोगियों को कुछ घंटे में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित भी कर दिए गये.’
कइयों के लिए प्रेरणा बने कमांडेंट दविंदर सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनकी अंतिम अरदास के मौके पर गुरुद्वारे की दोनों मंजिलों की तमाम जगह भरी हुई थी. जिसे कहीं जगह न मिली वो सीढ़ियों पर ही बैठा था. बीएसएफ में तैनात 1993 बैच के वे कई सारे अधिकारी तो देश के अलग अलग जगह से आये ही थे जिन्होंने कमांडेंट दविन्दर सिंह के साथ बल में करियर शुरू किया, कई जूनियर, सीनियर और सेवानिवृत्त अधिकारी भी मौजूद थे. क्षेत्र की पार्षद वीना शर्मा समेत कई गण्यमान्य लोग यहाँ आये.
गुरु के इस घर में कमांडेंट दविंदर सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने उनके वह गुरु भोला नाथ शर्मा भी आये जिन्होंने दविंदर को बीएसएफ में ट्रेनिंग दी. तीन साल पहले ही बल से बतौर महानिरीक्षक रिटायर हुए श्री शर्मा के चेहरे पर दविंदर का ज़िक्र आते ही मुस्कान आ जाती है. कहते हैं, ‘वो बहुत होनहार, प्रतिभावान और अनुशासन वाला था’. दविंदर सिंह की बेसिक ट्रेनिंग के वक्त उपमहानिरीक्षक (DIG) रहे सेवानिवृत्त महानिरीक्षक केएस वालिया, एडीजी एसके सूद, कमांडेंट देवब्रत नेगी के साथ और भी अधिकारी थे जो वहां दिखाई दिए. सब कुछ वहां सही से हो रहा है इसका ज़िम्मा खुद BSF के अधिकारियों ने सम्भाला हुआ था किसी परिवार की तरह. व्यवस्था खुद कमांडेंट और दविन्दर के मित्र वाईएस राठौर ने सम्भाली थी.
अंतिम अरदास के बाद भावुक पलों के बीच BSF के ये साथी अलविदा होते वक्त भी कमाडेंट दविंदर सिंह और उनके परिवार की याद अपने साथ रखना चाहते थे. शायद यही वजह थी कि सबने अपने दिवंगत साथी के परिवार के साथ फोटो खिंचवाई. सच में ये सबके लिए भावुक कर देने वाले पल थे लेकिन अपने जीवन साथी को खो देने वाली दविंदर सिंह की पत्नी नरदीप कौर ने भी इन पलों का जिंदादिली से सामना किया. वो खुद भी एक बीएसएफ अधिकारी की बेटी हैं.
हाल ही में इस परिवार को दुःख के इन पलों में हौसला देने सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक केके शर्मा भी जनकपुरी में इनके घर गये थे.
प्राण त्यागने के बाद भी बीएसएफ के कमांडेंट दविंदर सिंह की ड्यूटी जारी