दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर मैनेजमेंट फ़ोर्स में शुमार भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का जवान अनीस अहमद जब दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाके में अपने परिवार से मिलने आया तो उसकी जुबान पर एक ही बात थी, ‘ मेरी वर्दी ही मेरा मजहब है.’
बीएसएफ जवान अनीस की इस बात की तारीफ़ करते हुए बीएसएफ अधिकारी सोशल मीडिया पर परिवार से अनीस से मुलाक़ात की तस्वीरें भी अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर कर रहे है. साथ में वे अनीस और उसके परिवार को संदेश भी दे रहे हैं, ‘ बीएसएफ और देश उनके पीछे खड़ा है.’ सिर्फ संदेश ही नहीं बीएसएफ के अधिकारियों ने इस मामले में ऐसा किया भी है. दंगाइयों ने 25 फरवरी को खजूरी में अनीस के जिस घर को फूँक डाला था, उसे बनाने में फिर से मदद करने से लेकर उस माल असबाब का बन्दोबस्त करने तक की ज़िम्मेदारी ली है जो 29 वर्षीय अनीस के निकाह के लिए जुटाया गया था. निकाह अप्रैल में होना तय था जिसकी तारीख अब शायद परिवार को आगे बढ़ानी पड़ सकती है.
नागरिकता कानून के पक्ष और विरोध के नाम पर सियासती और धर्मान्धता की नफरत के बीच भारत की राजधानी में दंगाई खजूरी इलाके में अनीस के परिवार को बेघर करके मकान को आग लगा रहे थे उस वक्त अनीस बीएसएफ की वर्दी में नक्सलियों से लोहा लेने के लिए ओडिशा में ड्यूटी कर रहा था. दंगाइयों को अच्छे से पता था कि ये देश के लिए काम करने वाले जवान का घर है. अनीस ने बड़े गर्व से मकान के बाहर नेम प्लेट पर नाम के साथ बीएसएफ लिखा भी हुआ था. यहीं पर पैदा और बड़ा हुआ अनीस तो कभी जेहन में भी नहीं ला सकता था कि कभी यहाँ उसके परिवार के साथ ऐसा होगा.
सारे सामान के साथ साथ वो तीन लाख रुपये की नकदी भी स्वाहा हो गई जो परिवार ने शादी के इंतजाम के लिए जोड़कर रखी थी. दंगाई यहाँ तीन घंटे तक उत्पात मचाते रहे.
मदद के लिए हाथ थामा :
अपने जवान अनीस के परिवार के साथ हुए इस ज़ुल्म की कहानी बीएसएफ अधिकारियों तक मीडिया के जरिये जैसे ही पहुँची वैसे ही दिल्ली मुख्यालय से डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौर की अगुआई में अधिकारियों और जवानों की एक टीम अनीस के परिवार का हाल जानने खजूरी ख़ास के ई ब्लाक में गली नम्बर 5 में पहुँची जहां अनीस के घर के आसपास के और मकान भी दंगाइयों के खूनी जूनून की गवाही दे रहे थे. जले हुए मकान और आसपास खड़े वाहन. सबका एक ही रंग हो गया था अब …स्याहा काला!
यहाँ अनीस के पिता से मिले अधिकारियों ने परिवार को खाने पीने का सामान, फल वगैरह भेंट किये और साथ ही हौसला दिया. परिवार को बताया गया कि उन्हें बीएसएफ वेलफेयर फंड से 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी जायेगी. साथ ही एक और तोहफा – उनके बेटे का जल्द ही दिल्ली तबादला किया जाएगा ताकि इस परिवार को इस दहशत भरे माहौल में ताकत मिले और निकाह से खुशियाँ उनकी तकलीफ और दर्द को दूर कर सकें. ये तोहफा बीएसएफ के महानिदेशक वी के जौहरी की तरफ से.
ये है जवान अनीस :
नक्सलवादी इलाके में ही सिर्फ नहीं, 2013 में बीएसएफ में भर्ती हुए कांस्टेबल अनीस ने आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू कश्मीर में भी तकरीबन तीन साल अपनी सेवाएँ दी हैं. उसका परिवार बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला है लेकिन तकरीबन 35 साल से यहाँ रह रहा है. अनीस की मां और भाई चाँद आलम तो हिंसा और तनाव के माहौल को देखते हुए पिछले सोमवार को ही गाँव चले गये थे लेकिन उसके पिता मुनीस, भाई मोहम्मद अहमद और दो भतीजे यहीं थे. मंगलवार को यहाँ दंगाइयों ने तांडव मचाया था.
सब ठीक होगा जल्द :
इस सोमवार को परिवार के पास लौटे अनीस को यहाँ के खौफनाक मंजर देखकर बेहद तकलीफ हुई लेकिन अपने बल के अधिकारियों के व्यवहार ने उसके जोश और जिंदादिली को कम नहीं होने दिया. इसके लिए अनीस ने अधिकारियों और साथियों का आभार ज़ाहिर किया. अनीस को लगता है कि सब कुछ जल्द ठीक हो जायेगा. अनीस खुद को इस फ़ोर्स का हिस्सा होने पर भाग्यशाली मानता है.