आतंकवाद, नक्सलवाद और सीमाओं पर घुसपैठ और खतरनाक अपराधियों से मुकाबला कर रहे सुरक्षा बलों और पुलिस संगठनों को लम्बे इंतज़ार के बाद अब भारी भरकम और कम आघात के स्तर वाली बुलेट प्रूफ जैकेट से छुटकारा मिल सकेगा. उनके लिए विकल्प के तौर पर बेहतर जैकेट तैयार है. परमाणु विज्ञानी डाक्टर होमी जे भाभा को समर्पित इस जैकेट को उनका नाम दिया गया है – भाभा कवच.
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Reseach Centre – BARC) ने इसे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल और गृह मंत्रालय के आग्रह पर अनुसंधान करके बनाया है. विज्ञानियों का दावा है कि ये बुलेट प्रूफ जैकेट लगभग 17 किलोग्राम तक के वजन वाली उन जैकेट्स से न सिर्फ काफी हल्की है जो वर्तमान में भारतीय संगठनों के जवान इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि उनसे सस्ती और मजबूत भी है.
- जैकेट्स की तीन किस्में
अलग अलग ज़रूरतों के हिसाब से बनाई गई इन जैकेट्स की तीन किस्में हैं जो अलग अलग स्तर के आघात को सह सकती हैं. पांच से सात किलो वजन वाला भाभा कवच एके सिरीज़ वाली असाल्ट रायफल (AK – Rifle ) से निकली गोली को भी जिस्म से प्रवेश करने से रोक सकता है. तकरीबन एक साल के रिसर्च और मेहनत के बाद इसे जिस सामग्री से तैयार किया गया है उसे बार्क नैनो शीट (BARC Nano Sheet) कहते हैं. भाभा परमाणु केंद्र की वेबसाइट में दी गई
जानकारी में कहा गया है कि क्यूंकि ये जैकेट सुरक्षा बलों के कल्याण और सरकार के लिए बनाई गई है, इसलिए इसे बनाने की तकनीक सिर्फ प्रतिष्ठित संस्थानों को ही दी जा सकती है.
- 30 से ज्यादा परीक्षणों को पास कर चुका है भाभा कवच
भाभा कवच के निर्माण से जुड़े विज्ञानियों का कहना है कि ये अब तक प्रमाणित एजेंसियों के 30 से ज्यादा परीक्षणों को पास कर चुका है. केद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के संयुक्त दल भी इसकी टेस्टिंग कर रहे हैं. इसके अलावा आतंकवाद से जबरदस्त प्रभावित राज्य जम्मू कश्मीर में तैनात सैनिक भी इसे इस्तेमाल कर रहे हैं.
- कीमत तकरीबन 70 हज़ार रुपये
इस कवच को बनाने में भारत निर्मित हल्के बोरोन कारबाइड सिरेमिक टाइल्स, कार्बन नैनो ट्यूब और कम्पोजिट पोलीमर्स का इस्तेमाल किया गया है जबकि अभी जो जैकेट्स भारतीय सुरक्षा बलों के जवान इस्तेमाल कर रहे हैं वो दस किलो से ज्यादा जैकट आर्मर स्टील, अल्युमिना और सिलिका से बनाई जाती हैं, इसलिए वजनी भी होती हैं. भाभा अपने परमाणु रिएक्टर में बोरोन कारबाइड का इस्तेमाल उसकी नियन्त्रण राड्स में करता है. कीमत का मुकाबला करें तो भी भाभा कवच मुफीद है जिसकी कीमत तकरीबन 70 हज़ार रुपये है जबकि पहले वाली एक जैकेट की कीमत सवा लाख से ज्यादा है.
बात सिर्फ कीमत और वजन की भी नहीं है, आघात सहने की क्वालिटी की भी है. सुरक्षा विज्ञानियों के मुताबिक़ हाल ही में कश्मीर की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पुरानी जैकेट फेल भी हुयी जब 31 दिसम्बर 2017 को पुलवामा में आतंकवादियों से घमासान के दौरान CRPF के पांच जवानों की जान गई. उन्होंने जो जैकेट पहनी हुई थी वो चीन निर्मित बेहद सख्त किस्म के स्टील से बनी गोली को सुराख करने से रोक न सकी थी.