भारत के पंजाब प्रांत में भीषण रेल हादसे के मातम से उपजे हालात के बीच एक अजीब सी घटना हुई. हालांकि इस माहौल के बीच सुखद या अच्छा कहना तो नहीं जंचता लेकिन सकारात्मक तो कहा ही जा सकता है. नागरिकों को शायद इससे प्रत्यक्ष तौर पर फर्क नहीं पड़ता और इसीलिए ‘मेन स्ट्रीम मीडिया’ में इस छोटी सी बात के लिए जगह भी नहीं लेकिन पुलिस, कानून व्यवस्था और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के नज़रिये से ये सुखद बदलाव की तरह देखे जाने वाले घटनाक्रम से कम भी नहीं. दरअसल, ये सरकारी तंत्र की सोच बदलने वाला एक छोटा सा कदम है जो केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF-सीआरपीएफ) ने उठाया.
जिस जमाने में कामचोरी और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की मानसिकता वाले लोग कानून व्यवस्था सम्भालने वाले तंत्र से जुड़े हों और जहाँ अपराध या हादसा होने पर क्षेत्र की ज़िम्मेदारी पर विवाद होता हो वहां हादसे वाली जगह पर सीआरपीएफ के अधिकारियों की तरफ से स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद के लिए खुद ब खुद आगे आना हैरानी तो पैदा करता ही है.
नियम के मुताबिक आमतौर पर केन्द्रीय सुरक्षा बल या एजेंसियां क़ानून व्यवस्था की स्थिति या आपदा के हालात में किसी भी राज्य में मदद के लिए सम्बद्ध राज्य सरकार के बुलावे या केंद्र सरकार की व्यवस्था के हिसाब से मिले आदेश पर ही वहां जाते हैं लेकिन शुक्रवार को अमृतसर में त्रासदी वाली जगह पर जाने का फैसला सीआरपीएफ के अधिकारियों ने खुद लिया.
सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि रात को रेल हादसे में बड़ी तादाद में लोगों के मारे जाने और घायल होने की खबर मिलते ही निकटवर्ती जलंधर में तैनात रेपिड एक्शन फ़ोर्स (114 बटालियन) की दो कम्पनियां टू आई सी (Second in Command ) फ्रांसिस टिर्के के नेतृत्व में वहां पहुँच गईं. पहली टीम ने वहां, मृतकों के आश्रितों के लिये ज्यादा मुआवजा राशि की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने बुझाने में लगे पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की मदद ताकि हालात बिगड़े बिना शवों को पटरियों के आसपास से हटाया जा सके. वहीं दूसरी टीम हादसे और उसके आसपास वाली जगह पर कानून व्यवस्था सम्भालने में जुटे पुलिस कर्मियों की मदद करने लगी.
इसी बीच आरएएफ के अधिकारी फर्स्ट ऐड में ट्रेंड कर्मियों को लेकर अमृतसर के सिविल अस्पताल जा पहुंचे और खुद ब खुद काम में जुट गये. खुद फ्रांसिस टिर्के स्थानीय आयुक्त कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों से तालमेल कर रहे थे. यही नहीं दिल्ली से भी रात को ही आरएएफ की एक और कम्पनी रवाना की गई जो कानून व्यवस्था में पुलिस की मदद के लिए सुबह 8 बजे वहां पहुँच गई. इसके बाद भी एक और कम्पनी दिल्ली से रवाना की गई जो समाचार लिखे जाने तक रास्ते में थी.
सीआरपीएफ के इस काम की और अधिकारियों के स्वत: आगे बढकर लोगों, पुलिस व प्रशासन की मदद करने वाली सोच की सब तारीफ़ कर रहे हैं. खासतौर से अस्पताल में तो वहां का स्टाफ उन्हें देखकर हैरान था.