कश्मीर के पूर्व सैनिक मोहम्मद हनीफ और उसके परिवार का कोई सानी नहीं. इस परिवार ने आतंकवाद को जितना तगड़ा जवाब दिया है वो ना सिर्फ काबिले तारीफ़ है बल्कि कइयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. अभी इस परिवार के बड़े बेटे औरंगजेब की इस दुनिया से रुखसती को बमुश्किल साल भर ही हुआ है कि दोनों छोटे बेटे भी देश के लिये फौजी वर्दी पहनकर तैयार हैं. नाम हैं मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर. ये दोनों उसी सैनिक औरंगजेब के भाई हैं जिसे पिछले साल जून में आतंकवादियों ने उस वक्त अगवा करने के बाद मार डाला था जब वो ईद मनाने के लिए छुट्टी लेकर घर जा रहा था.
‘देश के लिए मोहब्बत’ और ‘भाई की मौत का आतंकवादियों से बदला’ इन दोनों मकसद के साथ मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर प्रांतीय सेना (टेरिटोरियल आर्मी) 156 इन्फेंट्री बटालियन का हिस्सा बने हैं. राजौरी में सोमवार को पासिंग आउट परेड में दोनों भाई जब साथ आये तो सबकी निगाहें उन पर थीं. हनीफ मीडिया के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहे. हनीफ का कहना था कि उनकी जंग ही मेरे बेटे औरंगजेब की शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि है.
भारतीय सेना से रिटायर मोहम्मद हनीफ का बड़ा बेटा औरंगजेब राष्ट्रीय राइफल्स की 44 बटालियन में राइफलमेन था. ईद के मौके पर छुट्टी लेकर वो 14 जून 2018 को पुंछ स्थित अपने घर लौट रहा था जब पुलवामा में उसका अपहरण कर लिया गया था. दोनों का कहना है कि बड़े भाई की शहादत के बाद ही उन्होंने सेना में भर्ती होना तय कर लिया था और उनके पिता भी यही चाहते थे.
23 बरस का मोहम्मद तारिक और 21 बरस का मोहम्मद शब्बीर उन 11000 जवानों में से चुने गये 101 रंगरूटों में से है जो 7 मार्च को पुंछ ज़िले के सुरनकोट में भर्ती रैली में आये थे. सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें अब पंजाब रेजिमेंट में ट्रेनिंग दी जायेगी.
रैली में चुने गये ज्यादातर गरीब घरों के नौजवान थे. इनमें से 6 तो स्नातक (ग्रेजुएट) हैं. सेना के प्रवक्ता के मुताबिक़ ये एनरोलमेंट परेड प्रांतीय सेना की 156 इन्फेंट्री बटालियन की पहल थी.