भारत के हिमाचल प्रदेश और लेह को जोड़ने वाले रोहतांग दर्रे के नीचे बनी रणनीतिक महत्व की सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रखा गया है. सीमा सड़क संगठन की बनाई इस सुरंग को बनवाने में श्री वाजपेयी के योगदान के मद्देनज़र उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को सम्मानस्वरूप ऐसा किया गया. इससे पहले सुरंग के नामकरण को भारत सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी. इतनी ऊंचाई पर निर्मित ये दुनिया की पहली और एकमात्र सुरंग सबसे लम्बी है.
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था जब श्री वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. सुरंग के दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी.
8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है. इससे सड़क मार्ग से मनाली से लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी. साथ ही इससे परिवहन का खर्च भी कई करोड़ रूपए कम हो जाएगा. यह 10.5 मीटर चौडी दो लेन वाली सुरंग है जिसमें आग से सुरक्षा के सभी उपाय मौजूद हैं. साथ ही आपात निकासी के लिए सुरंग के साथ ही बगल में एक और सुरंग बनायी गयी है.
इसके निर्माण के दौरान सीमा सड़क संगठन को कई तरह की भौगोलिक और मौसम संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. खासतौर से सेरी नाला फॉल्टक जोन के 587 मीटर क्षेत्र में निर्माण कार्य काफी जटिल और मुश्किल भरा रहा. आखिरकार 15 अक्टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया गया.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ सुरंग का निर्माण जल्दी ही पूरा होने वाला है. इससे हिमाचल प्रदेश के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों और लद्दाख के बीच सभी तरह के मौसम में सड़क यातायात सुगम हो जाएगा. इससे पहले ठंड के मौसम में इन क्षेत्रों का संपर्क भारत के अन्य हिस्सों से छह महीने तक पूरी तरह खत्म हो जाता था.