करगिल में लड़ने गया लेकिन वहशियों से पत्नी और गांव वालों को न बचा सका मणिपुर में सूबेदार

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मीडिया से बात करते भारतीय सेना के रिटायर्ड सूबेदार जिनकी पत्नी को निर्वस्त्र करके घुमाया गया .

एक तरफ भारत अपनी सर जमीं में 1999 में घुसपैठ करने वाले  पाकिस्तान सैनिकों को खदेड़ने में दिखाई अपने सैनिकों की बहादुरी व कुर्बानी को याद करके फख्र महसूस करता ‘ करगिल विजय दिवस मना (kargil vijay diwas ) रहा है तो दूसरी तरफ इसी युद्ध में अपना योगदान देने वाला एक सैनिक इसे अजीब  तरह से याद कर रहा है . यह सैनिक भारतीय सेना की असम रेजीमेंट से रिटायर हुआ एक  सूबेदार है   लेकिन दुर्भाग्य से अब इसकी पहचान हाल की देश की सबसे बड़ी शर्मिंदगी कही जाने वाली घटना से जुड गई है . यह पूर्व सैनिक मणिपुर की उन महिलाओं में से एक का पति है जिनको भीड़ ने बुरी तरह ज़लील करके  सरे आम  ‘ नंगा’ करके घुमाया . मणिपुर के कंगपोक्पी (kangpokpi)  में यह वही घटना है जिसका वीडियो वायरल हुआ तो सरकार जागी.

मणिपुर में हिंसा के दौरान महिलाओं को निर्वस्त्र करके ज़लील किया गया .

मणिपुर निवासी भारतीय सेना के इस रिटायर्ड सूबेदार का कहना है कि सेना की सेवा और  देश की खातिर  श्रीलंका में  भारतीय शान्ति सेना के सिपाही के तौर पर भी गया और करगिल में युद्ध लड़ने भी गया भी लेकिन अपनी पत्नी को उस ज़लालत से नहीं बचा सका. ” मैं देश बचाने गया  लेकिन अपने घर , अपनी पत्नी और अपने गांव वालों को नहीं बचा सका … मैं बहुत दुखी और अवसाद में हूं .” 28 साल तक सेना में रहकर देश सेवा करने वाले  इस रिटायर्ड सैनिक का एक दर्द यह भी है कि इस घटना के वक्त वहां पुलिस मौजूद थी लेकिन पुलिसकर्मियों ने भी कुछ नहीं किया . हालांकि उसका यह भी कहना था कि भीड़ बहुत ज्यादा दी और पुलिसकर्मियों की संख्या कम थी .

भारत के हिंदी न्यूज़ चैनल आज तक और अन्य मीडिया मंचों  को दिए इंटरव्यूह के दौरान  इस रिटायर्ड फौजी ने  कहा , ” पुलिसकर्मी मौजूद थे लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. मैं चाहता हूँ कि जिन लोगों ने  घर जलाए और महिलाओं को ज़लील किया उनको सख्त से सख्त सज़ा मिले . ” टीवी चैनल को इंटरव्यू के दौरान पूर्व सैनिक ने पूरे घटनाक्रम का व्यौरा दिया और उसके साथ भी  इस दौरान जो बीती वह सच में बेहद तकलीफदेह बात है . हालांकि बात पूरे देश में फैलने के बाद इस घटना पर प्रधानमन्त्रीनरेंद्र मोदी को बयान देखर अफ़सोस प्रकट करना पड़ा और अब इस केस में 5 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है .

मणिपुर में महिलाओं के सरे आम कपडे उतरवा कर छेड़खानी करने वाले  उपद्रवियों ने गांव के घरों को लूटा भी और पूजा स्थल में आग लगाईं. रिटायर्ड  सूबेदार का कहना है कि वो अपने और साथी परिवार वालों की जान बचाने के गरज से घर छोड़ने पर मजबूर हुए थे और पास के जंगल में छिपे थे. 4 मई की इस इस घटना के बाद रिटायर्ड सूबेदार और उसका परिवार किसी तरह बच कर गांव दर  गांव भटकता रहा. इनको पनी जान के लाले पड़े हुए थे. कुछ दिन बाद में इनके पहुँचने पर ही पुलिस ने रिपोर्ट लिखी जबकि खुद घटनास्थल पर पुलिस मौजूद थी . एफ.आई .आर.  होने के बाद भी कई दिन तक पुलिस ने इस मामले में  आगे कार्रवाई नहीं की थी..

मणिपुर में महिला को नग्न करके घुमाया

इस रिटायर्ड सूबेदार का कहना है कि लोगों की ये भीड़ महिलाओं को नंगा  करके उनके बदन से ऐसे छेड़खानी कर रही थी मानों वो महिला कोई खिलौना हो . किसी ने उनकी पत्नी को बदन ढांपने के लिए  कपड़ा दिया तो लोगों ने ये कहकर उन्हें फिर कपडे उतारने को कहा कि ऐसा न करने पर उसे मार डाला जाएगा. इस बीच इस फौजी को लोगों ने घेर कर अलग रखा. अब यह फौजी और उनके गांव के लोग राहत शिविरों में है.  ज़ाहिर सी बात है कि यातनाओं का शिकार हुई  ऐसी महिलाओं  और परिवारों की  मानसिक अवस्था  सामान्य होने में अरसा लगेगा. लेकिन सरकार की तरफ से  इनको चिकित्सा आदि देने में कोई पहल नहीं की गई है . इस रिटायर्ड सूबेदार का कहना है कि अपने घरों से निकले इनको लंबा वक्त हो गया है लेकिन दूसरे पक्ष का खौफ इतना है कि इनका वापस गांव लौट पाना बेहद मुश्किल है . एक तो घर बार लूट और जला दिए गए हैं , दूसरा सुरक्षा को लेकर आशंका बनी रहेगी.

उपरोक्त घटना के सिलसिले में अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है लेकिन साथ ही 3 मई से अब तक मणिपुर की इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. यूं यह झगड़ा लम्बे अरसे से चल रहे विवाद के कारण हुआ लेकिन स्थानीय पुईस प्रशासन की तरफ से समय पर न की गई असरदार कार्रवाई से  उपद्रवियों के हौंसले बढ़ते रहे. इस कारण राज्य सरकार को  तो आलोचना का सामना करना पड़ ही रहा है वहीँ केंद्र सरकार भी इस बदनामी के घेरे में आ रही है. मामला राजनीतिक भी बनता जा रहा है. अगले साल भारत में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में विभिन्न विपक्षी दलों को मणिपुर के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) को घेरने का मौका मिला हुआ है जिसकी मणिपुर राज्य में भी सरकार है . मणिपुर में हालात संभालने में नाकाम रहने पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की भी मांग की जा रही है . हिंसा के हालात जारी रहने के बावजूद इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 77 दिन की  चुप्पी को लेकर भी सियासतदान सवाल उठा रहे हैं.

मणिपुर में हिंसा और वहशीपन