भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित सैनिक स्कूल का आज (7 सितंबर 2024 ) लोकार्पण किया . यह स्कूल खाद कारखाना परिसर में है और इसे बनाने का काम तीन साल पहले शुरू हुआ था.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘युवाओं को शिक्षा, देश की रक्षा’ के ध्येय से स्थापित इस सैनिक स्कूल की नींव 23 जुलाई, 2021 को रखी थी . यह न केवल गोरखपुर में बनाया गया पहला सैनिक स्कूल है बल्कि पूरे पूर्वांचल में बना पहला सैनिक स्कूल है . इसे खाद कारखाना परिसर में 49 एकड़ क्षेत्रफल में बनाया गया है. सैनिक स्कूल के निर्माण पर 176 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल सोसाइटी की तरफ से संचालित यह दूसरा सैनिक स्कूल है.
वैसे प्रवेश परीक्षा के जरिये कक्षा छह और नौ में दाखिला लेने के बाद यहां जुलाई, 2024 से पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. पहले दौर में इस स्कूल में कक्षा छह और नौ में 84-84 विद्यार्थियों को दाखिला दिया गया है. यहां पर कुल मिलाकर 40 छात्राएं और 128 छात्र हैं. छात्र-छात्राओं के रहने के लिए अलग-अलग कैंपस बनाए गए हैं.
स्कूल का प्रशासनिक भवन प्राचीन भारतीय संस्कृति व परंपरा को परिलक्षित करता है . सैनिक स्कूल के विद्यार्थियों के खेलकूद की गतिविधियों के लिए खेलों के कई कोर्ट व मैदान भी यह पर विकसित किए गए हैं. उपराष्ट्रपति ने यहां शूटिंग रेंज का उद्घाटन भी किया . इस अवसर पर उनकी पत्नी डॉ सुदेश धनकड़ भी साथ थीं.
गोरखपुर में सैनिक स्कूल के लोकार्पण के अवसर पर अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने खुद के सैनिक स्कूल का पूर्व छात्र होने का खुलासा किया . श्री धनकड़ ने बताया कि वह चितौडगढ़ स्थित सैनिक स्कूल में पढ़े हैं . उपराष्ट्रपति ने सैनिक स्कूल के छात्र के रूप में अपने दिनों को याद किया और अपने व्यक्तिगत तथा पेशेवर सफर को आकार देने में अपने स्कूल के प्रभाव पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “मेरा जैविक जन्म किठाना गांव में हुआ था, लेकिन सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ ने मुझे गढ़ा है. ”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकों को राष्ट्रवाद से समझौता करने से आगाह किया और इसे “राष्ट्र के साथ सबसे बडा विश्वासघात” बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां भी कोई राष्ट्र की अखंडता को खतरा पहुंचाता है तो हमें उसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य को हमेशा स्वार्थ और राजनीतिक हित से ऊपर रखने पर जोर दिया. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ऐसा न करना भारत के कई सहस्राब्दियों से चले आ रहे सभ्यतागत लोकाचार पर हमला होगा. वैसे जिस तरह से उन्होंने देश और यूपी राज्य की सरकारों की तारीफ करते समय पूर्व की सरकारों के काल की नकारात्मक घटनाओं या परिस्थितियों का ज़ोर देकर ज़िक्र किया उससे उनके संबोधन में ही पूर्वाग्रह की राजनीति झलक रही थी.
उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम की तारीफ़ करते कहा , जिन्होंने “देश को ऐसे मार्ग पर आगे बढ़ाया है, जिसे पूरी दुनिया सराहती है.” श्री धनखड़ ने कहा, “आज का भारत वैसा नहीं है, जैसा दस साल पहले था।” उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 जिसे संविधान निर्माताओं ने अस्थायी कहा था, कुछ लोगों ने उसे स्थायी मान लिया था लेकिन, इस दशक में इसे समाप्त कर दिया गया है. यह आज का भारत है. ”
उत्तर प्रदेश में शासन और कानून के शासन को कायम रखने में की गई प्रगति पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति धनकड़ ने कहा, “देश में चल रही विकास की लहर में उत्तर प्रदेश की भागीदारी राष्ट्र निर्माण में एक बड़ा योगदान है.”
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ; ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, लोकसभा सदस्य रवि किशन शुक्ला, उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी और अन्य शख्सियत मौजूद थीं .