सशस्त्र सेना बल पंचाट (आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल-एएफटी) ने रक्षा मंत्रालय को, भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल बिमल वर्मा की उस याचिका पर तीन हफ्ते के अन्दर फैसला लेने के लिए कहा है जिसमें वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने अपने से जूनियर अधिकारी वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की नौसेना प्रमुख के तौर पर नियुक्ति को चुनौती दी है. मंत्रालय ने फैसला लेने के लिए चार हफ्ते का वक्त माँगा था लेकिन ट्रिब्यूनल ने इसके लिए तीन हफ्ते दिए और सुनवाई की तारीख 20 मई मुकर्रर की है.
वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने मंगलवार को दोबारा एएफटी का दरवाज़ा खटखटाया था क्यूंकि उनकी याचिका पर रक्षा मंत्रालय ने दस दिन के बाद भी जवाब नहीं दिया था. वाइस एडमिरल बिमल वर्मा भारतीय नौसेना के वरिष्ठतम कमांडर हैं और अंडमान निकोबार कमान उनके पास है. उनका कहना है कि सरकार ने उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए उनसे छह महीने बाद कमीशन हासिल करने वाले अधिकारी वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना की कमान सौंपने का निर्णय लिया.
एएफटी में उनकी तरफ से उनकी वकील बेटी रिआ वर्मा ने जब पहले याचिका डाली थी तो एएफटी ने उन्हें विभागीय स्तर पर इस मामले की संभावनाएं और समाधान करने को कहा था. इस पर एएफटी से याचिका वापस ले ली गई थी और वाइस एडमिरल की तरफ से रक्षा मंत्रालय को याचिका दी गई थी.
वाइस एडमिरल बिमल वर्मा के वकील अंकुर छिब्बर के मुताबिक़ ट्रिब्यूनल ने मंत्रालय से कहा है कि वो 15 मई तक एडमिरल वर्मा की याचिका का निबटारा करे जोकि उन्होंने 10 अप्रैल को दी थी.
वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने याचिका में अपनी वरिष्ठता को नज़रन्दाज़ किये जाने पर हैरानी ज़ाहिर करते हुये अपने से जूनियर अधिकारी वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख नियुक्त करने के फैसले को गलत ठहराया था. वाइस एडमिरल करमबीर सिंह वर्तमान नौसेना प्रमुख सुनील लान्बा का स्थान लेंगे जो 30 मई को रिटायर हो रहे हैं.
वरिष्ठता पहले भी नज़रन्दाज़ हुई :
सेना में प्रमुखों की नियुक्ति में वरिष्ठता को दरकिनार करके मेरिट को आधार बनाने का भारत में ये कोई पहला मामला नहीं है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी – BJP ) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए – NDA ) की वर्तमान सरकार के राज में ये दूसरा मौका है जब भारतीय सेना में अधिकारियों की वरिष्ठता को नज़रन्दाज़ करते हुए उनसे जूनियर अधिकारी को कमान सौंपी गई हो.
भारतीय सेना के वर्तमान प्रमुख जनरल बिपिन रावत को दिसंबर 2016 में सेनाध्यक्ष नियुक्त करते वक्त दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल (प्रवीन बक्शी और पी एम हारिज़) को नज़रन्दाज़ किया गया था.
इससे पहले केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए (UPA ) की सरकार में भी सेना के प्रमुखों की नियुक्ति में वरिष्ठता की परम्परा को तोड़ा जा चुका है जब 2014 में एडमिरल डी के जोशी के इस्तीफे के बाद वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा की बजाय रोबिन धोवन को भारतीय वायु सेना का प्रमुख बनाया गया था.