वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने अब भारत की नौसेना के उप-प्रमुख का ओहदा संभाला है . उन्होंने वाइस एडमिरल संजय महेंद्रू की जगह ली है, जो 38 साल की नौसैनिक के तौर पर दी गई अपनी सेवा के बाद बीते महीने रिटायर हुए.
वाइस एडमिरल संजय महेंद्रू ( vice admiral sanjay mahindru) के नौसेना उप प्रमुख के तौर पर कार्यकाल के दौरान भारतीय नौसेना ने कई अहम मुकाम हासिल किये और इनसे भारतीय नौसेना की समुद्री पहुंच और परिचालन क्षमता बढ़ी है . ऐसे हालात में वाइस एडमिरल तरुण सोबती पर संजय महेंद्रू की उपलब्धियों को आगे ले जाने की जिम्मेदारी होगी.
कई अहम सेवाएं :
वाइस एडमिरल तरुण सोबती ( vice admiral tarun sobti ) को एक जुलाई 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन हासिल हुआ था . एडमिरल सोबती नौसेना में नेवीगेशन और दिशा-निर्देश के विशेषज्ञ माने जाते हैं. 35 साल के करियर में वाइस एडमिरल तरुण सोबती की नौसेना में कई अहम पदों पर तैनाती रही है .
वाइस एडमिरल तरुण सोबती ( vice admiral tarun sobti ) को एक जुलाई 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन हासिल हुआ था . एडमिरल सोबती नौसेना में नेवीगेशन और दिशा-निर्देश के विशेषज्ञ माने जाते हैं. 35 साल के करियर में वाइस एडमिरल तरुण सोबती की नौसेना में कई अहम पदों पर तैनाती रही है .
तरुण सोबती आईएनएस निशंक, आईएनएस कोरा और आईएनएस कोलकाता को कमांड कर चुके हैं. साथ ही वह नौसेना में स्टाफ रिक्वायरमेंट और डायरेक्टरेट ऑफ पर्सनल जैसे अहम विभागों में भी सेवाएं दे चुके हैं. वाइस एडमिरल सोबती मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास में भी नेवल अधिकारी की जिम्मेदारी निभा चुके हैं.
करवार नेवल बेस ( karwar naval base) को विकसित किया :
तरुण सोबती की साल 2019 में रियर एडमिरल के पद पर तरक्की हुई थी. एझिमाला स्थित नेवल एकेडमी, में वह डिप्टी कमांडेंट और चीफ इंस्ट्रक्टर की भी भूमिका पूरी कर निभा चुके हैं। साथ ही नौसेना के पूर्वी बेड़े के कमांडिंग अफसर भी रह चुके हैं. साल 2021 में तरुण सोबती, वाइस एडमिरल बने और उन्होंने प्रोजेक्ट सीबर्ड (sea bird ) के डायरेक्टर जनरल पद की जिम्मेदारी संभाली.
वाइस एडमिरल तरुण सोबती के नेतृत्व में भारत करवार नौसैनिक अड्डा विकसित कर रहा है। वाइस एडमिरल तरुण सोबती को साल 2020 में विशिष्ठ सेवा मेडल और साल 2022 में अति विशिष्ठ सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था. चुका है।
करवार नेवल बेस की अहमियत :
कर्नाटक में अरब सागर और पश्चिमी घाट के बीच स्थित करवार में बनाया जा रहा नौसैनिक अड्डा न सिर्फ भारत का बल्कि एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा है. इसके निर्माण पर तकरीबन तीन अरब डॉलर यानि लगभग 23 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं . यह 11 हजार एकड़ में फैला नेवल बेस है. इसमें बंदरगाह, ब्रेकवाटर ड्रेजिंग, टाउनशिप, अस्पताल, एक डॉकयार्ड अपलिफ्ट सेंटर और एक शिप लिफ्ट का निर्माण किया गया है.
कर्नाटक में अरब सागर और पश्चिमी घाट के बीच स्थित करवार में बनाया जा रहा नौसैनिक अड्डा न सिर्फ भारत का बल्कि एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा है. इसके निर्माण पर तकरीबन तीन अरब डॉलर यानि लगभग 23 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं . यह 11 हजार एकड़ में फैला नेवल बेस है. इसमें बंदरगाह, ब्रेकवाटर ड्रेजिंग, टाउनशिप, अस्पताल, एक डॉकयार्ड अपलिफ्ट सेंटर और एक शिप लिफ्ट का निर्माण किया गया है.
करवार अड्डे के निर्माण का पहले चरण पूरा हो गया है और दूसरा चरण 2025 तक पूरा होना है . यह काम होने के बाद करवार नौसैनिक अड्डा एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा होगा. यहां 30 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बी तैनात हो सकेंगी. इसमें एक नेवल एयर स्टेशन भी बनना है जहां से फाइटर प्लेन तक उड़ान भर सकेंगे.
करवार अड्डा व्यापार और सैन्य दोनों मामले में अहम है. माना जा रहा है कि यह चीन और पाकिस्तान की तरफ से मिलने वाले चुनौती से निपटने में भी सक्षम साबित होगा .