हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तरह अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ( uttarakhand cm ) पुष्कर सिंह धामी ( pushkar singh dhami ) ने भी ऐलान किया है कि उनके भारतीय सेनाओं में अपना चार साल का कार्यकाल पूरा करके लौटने वाले सैनिक अग्निवीरों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण व अन्य लाभ दिए जाएंगे . श्री धामी ने रविवार को एक सभा में ओने संबोधन के दौरान इस बारे में कुछ घोषणाएं की . उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार अग्निवीर के तौर पर सेवा कर चुके सैनिकों को विभिन्न लाभ देने के लिए ज़रूरत पड़ने पर कानून भी बनाएगी.
पंजाब , हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड भी उत्तर भारत के उन राज्यों में से है जहां के युवक बड़ी संख्या में सेना में भर्ती होते हैं . यहां की आबादी में बड़ी तादाद पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिवारों की है . मुख्यमंत्री धामी के इस ऐलान को ,राज्य में हाल के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की हार के परिपेक्ष्य में लिए गए सियासी निर्णय की तरह देखा जा रहा है . केंद्र की तरह राज्य में भी बीजेपी ( bjp ) सरकार है . ठीक वैसे ही जैसे कि हरियाणा में है . यूं इससे , केंद्र में सत्तारूढ़ अग्निवीर से रिटायर होकर आने वाले जवानों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की बात कही है.
वैसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार ने पहले ही निर्णय लिया था कि प्रदेश के अग्निवीरों को सरकारी विभागों में नियुक्तियां दी जाएंगी. सरकार उन्हें आरक्षण भी देगी और अगर जरूरी होगा तो इसके लिए सरकार एक्ट भी बनाएगी.
उत्तराखंड के मुखिया सीएम धामी ने कहा कि चार साल सेना की नौकरी के बाद वापस आने वाले अग्निवीर अपने सुरक्षित भविष्य को लेकर आशंकित न रहें. उन्होंने कहा कि इसके लिए ठोस योजना तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं. उन्होंने दोहराया कि उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है, यहां के युवा बड़े पैमाने पर भारतीय सेना ( indian army ) में भर्ती होते हैं. लिहाजा, सेना में चार साल की सेवा पूरी करने के बाद रिटायर्ड जवानों को नौकरियां देने में राज्य सरकार अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखेगी. सैनिक कल्याण विभाग ( sainik welfare department ) इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने में लगा है. सीएम धामी ने यह दावा किया कि इस दिशा में उनकी सरकार गंभीरता से काम कर रही है.