चंडीगढ़ में दो दिवसीय मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल जोश खरोश से सम्पन्न

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चंडीगढ़ में मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल 2024 में एक प्रदर्शनी में हथियारों का डिस्प्ले
ट्राइसिटी चंडीगढ़ में आयोजित मिलिटरी लिटरेचर  फेस्टिवल (Military Literature Festival ) के दूसरे और अंतिम दिन, दर्शकों की खासी  भीड़ रही . आज रविवार को आयोजन के समापन पर कई  कार्यक्रम देखने को मिले.  पैनल चर्चाओं, पुस्तक समीक्षाओं और वार्ताओं को लोगों ने दिलचस्पी से  सुना.
 दिन की शुरुआत दिवंगत महान पंजाबी कवि सुरजीत पातर की विरासत पर एक भावुक दृष्टि  के साथ हुई.  पंजाबी में  हुई इस चर्चा में प्रिंसिपल आतमजीत  सिंह, भारतीय पुलिस सेवा के  अधिकारी डॉ मनमोहन सिंह और मनराज पातर  ने पातर साहब की स्मृति को श्रद्धांजलि दी।

लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा और मेजर जनरल गोविंद द्विवेदी तथा मेजर जनरल सुधाकर ने भारत, पाकिस्तान और चीन के संबंध में आधुनिक युद्ध के क्षेत्रों पर गहन चर्चा की तथा अपने समृद्ध युद्ध अनुभव से उत्पन्न विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया.  भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आर.के. कौशिक, लेफ्टिनेंट जनरल कमल डावर और सुमीर भसीन ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र के बदलते भू-रणनीतिक महत्व पर चर्चा की.

 रविवार की अंतिम पैनल चर्चा ‘ ग्रे जोन युद्ध, विघटनकारी प्रौद्योगिकी और पश्चिम एशियाई संघर्षों में गैर- स्टेट एक्टर्स ‘  पर हुई.  इसमें पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लान्बा ,  मेजर जनरल नीरज बाली और मेजर जनरल हरविजय सिंह ने संघर्ष से ग्रस्त उस भौगोलिक क्षेत्र पर जीवंत चर्चा की, जहां कम तीव्रता वाले युद्ध ने दुनिया को विभाजित कर दिया है और तीसरे विश्व युद्ध की संभावना है.
आज पहले सत्र में पुस्तक चर्चा सत्र के दौरान, विक्रम जीत सिंह ने अपनी पुस्तक  फ्लावर्स ऑन करगिल क्लिफ ( Flowers on a Kargil Cliff ) पर चर्चा की.  विक्रम एक युद्ध संवाददाता भी हैं.  उन्होंने 1999 के करगिल संघर्ष के दौरान आम सैनिकों और गैर-लड़ाकों की बहादुरी और बलिदान पर एक मार्मिक विचार प्रस्तुत किया.
लेफ्टिनेंट जनरल पीएम बाली ने लेखक के साथ पुस्तक पर चर्चा की और पुस्तक में युद्ध में मानवीय भावना के विशद चित्रण पर प्रकाश डाला, जिसमें कारगिल के अनुभव से प्राप्त भावनात्मक और रणनीतिक सबक पर जोर दिया गया.

दूसरे सत्र के दौरान, पत्रकार, लेखक और विश्लेषक प्रवीण साहनी ने “पीएलए के आधुनिक युद्ध” विषय पर एक व्याख्यान दिया.  उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए pla ) के आधुनिकीकरण और भारत के लिए इसके निहितार्थों का व्यापक विश्लेषण किया. चर्चा चीन की उभरती सैन्य रणनीतियों, तकनीकी प्रगति और क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिरता पर उनके प्रभाव पर केंद्रित थी.

अंतिम सत्र में जशनदीप सिंह की पुस्तक  ‘ मिलिटरी हिस्ट्री ऑफ़ सिख्स : फ्रॉम द बैटल ऑफ़ भंगानी टू वर्ल्ड वार -II ‘ (Military History of the Sikhs: From the Battle of Bhangani to World War II )  का विमोचन किया गया . इसमें पुस्तक में सिखों के उस  सैन्य इतिहास के घटनाक्रम हैं जो  गुरु गोविन्द सिंह के भंगानी में लड़े गए युद्ध  से द्वितीय विश्व युद्ध तक का है .  इस पुस्तक पर जशन दीप कंग और कर्नल डीएस चीमा के बीच चर्चा हुई.  चर्चा का संचालन  लेफ्टिनेंट जनरल आरएस सुजलाना ने किया.  इस दिलचस्प सत्र में लेखकों ने सिख सैन्य परंपरा की वीरतापूर्ण यात्रा का पता लगाया, जिसमें भंगानी जैसी शुरुआती लड़ाइयों से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण योगदान शामिल हैं.

सैन्य वृत्तचित्रों और सूचनात्मक लघु फिल्मों के मिश्रण के साथ क्लेरियन कॉल थिएटर ( clarion call theater ) हमेशा की तरह इस बार भी इस सैन्य आयोजन में सबका पसंदीदा रहा.