भारतीय थल सेना प्रमुख ( chief of army staff ) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को गंगटोक में सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस “अग्निअस्त्र” को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया.
इस उपकरण को भारतीय सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स ( corps of engineers) के मेजर राज प्रसाद आरएस ने विकसित किया है और इसे पारंपरिक और आतंकवाद विरोधी दोनों तरह के ऑपरेशनों में इस्तेमाल करने के हिसाब से तरक्की के रूप में देखा जाता है.
भारतीय सेना के अधिकारियों के अनुसार, इस डिवाइस में रूम इंटरवेंशन, रिमोट बंकर या हाइडआउट को नष्ट करने और रिजर्व को ध्वस्त करने जैसे कामों में इस्तेमाल करने योग्य “जबरदस्त क्षमता” है. इसकी क्षमताओं के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, “इसमें रूम इंटरवेंशन, रिमोट बंकर/हाइडआउट को नष्ट करने और रिजर्व को ध्वस्त करने जैसे कामों में पारंपरिक और आतंकवाद विरोधी दोनों तरह के ऑपरेशनों में जबरदस्त क्षमता है.” यह डिवाइस इस साल की शुरुआत में हासिल की गई पिछली उपलब्धियों पर आधारित है.
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19 मार्च को मेजर राजप्रसाद के इस आविष्कार का पेटेंट दिया गया था. इसको विशेष रूप से मल्टीपल-टारगेट डेटोनेशन की सुरक्षा और विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो पहले इस्तेमाल किए जाने वाले एक्सप्लोडर डायनेमो कैपेसिटर की सीमाओं को पार करता है, जिसकी सीमा 400 मीटर थी. इसे पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस जिसे (डब्ल्यू ई डी सी WEDC ) के नाम से भी जाना जाता है,
नई प्रणाली एक माइक्रोप्रोसेसर-आधारित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो 2.5 किलोमीटर की बेहतर रेंज के साथ वायर्ड और वायरलेस दोनों प्रणालियों में काम कर सकती है. यह कई लक्ष्यों पर चुनिंदा और एक साथ फायरिंग की अनुमति देता है, जिससे यह सुरक्षित दूरी से असरदार तरीके से विध्वंस कर सकता है .मेजर राजप्रसाद का यह काम आतंकवाद विरोधी अभियानों और आईईडी ( IED ) विनाश में एक अहम योगदान देता है . साथ ही यह मिशनों में सैनिकों के लिए अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
गुरुवार को जनरल द्विवेदी ने सिक्किम में सेना कमांडरों के सम्मेलन (ACC) की अध्यक्षता की, यह पहली बार था जब यह आयोजन दिल्ली के बाहर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर हो रहा था.
यह सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में हो रहा है, जिसका पहला चरण गंगटोक में और दूसरा चरण 28-29 अक्टूबर को नई दिल्ली में होने वाला है.