1920 में अमृतसर पैदा हुए दलीप सिंह मजीठिया का ताल्लुक पंजाब के उस मशहूर मजीठिया कुनबे से है जो आज भी पंजाब की सियासत में सक्रिय है . सिर्फ 20 साल की उम्र में यानि 1940 में दलीप सिंह मजीठिया रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स ( royal indian air force ) में भर्ती हुए . वह जनरल ड्यूटी पायलट ( GDP) के कोर्स 4 में थे. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान गठित भारत की वायु सेना का तब यही नाम था . द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दलीप सिंह मजीठिया ने बर्मा ( वर्तमान में म्यांमार ) हॉकर हरिकेन ( hawker hurricane ) उड़ाया था.
द्वितीय विश्व युद्ध के समापन के करीब दलीप सिंह मजीठिया ( dalip singh majithia ) ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑक्यूपेशन फोर्सेज (BCOF) का हिस्सा बन कर आस्ट्रेलिया के शहर मेलबर्न पहुंच गए . यहीं पर उनकी मुलाकात जौन सांडर्स ( joan sanders ) से हुई जो खुद उस वक्त सैनिक के तौर पर आस्ट्रेलिया की नौसेना रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी ( royal australian navy ) में थीं. दोस्ती मोहब्बत में तब्दील हुई और 18 फरवरी 1947 को दलीप सिंह मजीठिया व जौन सांडर्स ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में विवाह कर लिया . जौन के पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी थे.
.
दलीप सिंह मजीठिया ने बर्मा अभियान के दौरान , जापानी सेनाओं से मुकाबला करने के लिए , उन्हीं बाबा मेहर सिंह की कमान में उड़ान भरी थीं जिनको बाद में भारत – पाकिस्तान युद्ध ( 1947 – 48 ) में निभाई भूमिका के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था . इस अभियान में मजीठिया ने हरिकेन उड़ाया था जो उस वक्त का ज़बरदस्त तगड़ा लड़ाकू जहाज़ था. इस युद्ध के दौरान उन जापानी सैनिकों को खोजने का का टास्क था जो जंगलों में छिपते छिपाते भारत की तरफ बढ़ रहे थे . एक जहाज़ से उनकी फोटो खिंची जाती थी तो दूसरा जहाज़ उसकी दुश्मन के हमले से रक्षा करता था.
दलीप सिंह मजीठिया में ‘ एक बार सैनिक जीवन पर्यन्त सैनिक ‘ वाला जज़्बा हमेशा रहा.उन्होंने वायु सेना बेशक छोड़ दी लेकिन उनको आसमान में परवाज़ छोड़ना मंज़ूर नहीं था. लिहाज़ा मजीठिया ने प्राइवेट जहाज़ उडाना शुरू कर दिया . काठमांडू की घाटी में पहला हवाई जहाज़ उतारने ( plane landing ) वाले पहले पायलट का सेहरा भी उनके सिर पर सजा . यह भी एक दिलचस्प घटनाक्रम है जो रोमांच से भरपूर है .
नेपाल की राजधानी काठमांडू में त्रिभुवन अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ( tribhuvan international airport at kathmandu) आज भी वो पट्टी चिन्हित है जहां स्क्वाड्रन लीडर दलीप सिंह मजीठिया ने पहला विमान उतारा था. मजीठिया परिवार ने इसके बाद भी समय समय पर जहाज़ खरीदे जो उनकी सराया एयर चार्टर सेवा का हिस्सा बने. उनमे से कई अब रिटायर भी हो गए हैं .
गर्मियों में नैनीताल जाना और गोल्फ खेलना दलीप सिंह मजीठिया का शौक रहा. दलीप सिंह मजीठिया एक अच्छे गोल्फर भी हैं . बीस साल की उम्र में पहली बार जहाज़ की परवाज़ भरने वाले दलीप सिंह मजीठिया ने अपने पायलट जीवन की आखरी उड़ान जनवरी 1979 में भरी यानि अपने 59 वें साल में .
नैनीताल का बोट क्लुब दलीप सिंह मजीठिया की पसंदीदा जगहों में से एक है . उनकी बेटी किरन संधू का परिवार वहीँ मल्लीताल में रहता है . मजीठिया जब कभी वहां होते हैं तो बोट क्लब पर काफी वक्त बिताते हैं . वैसे दलीप सिंह मजीठिया का घर दिल्ली के महरौली में जौनापुर में हैं जोकि विशाल फ़ार्म हाउस से भरा इलाका है .
वैसे बीते साल जब दलीप सिंह मजीठिया 102 साल के हुए तो उनसे मिलने और शुभकामनाएं देने के लिए उत्तराखंड के राजपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त ) गुरमीत सिंह भी पहुंचे थे. दलीप सिंह मजीठिया के बैच के ज़्यादातर लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं .