दुनिया में ऐसा कोई नहीं जो 100 साल के योद्धा टॉम मूरे का मुकाबला कर सके

176
कैप्टन टॉम मूरे को 29 अप्रैल को ब्रिटिश सेना ने जब आनरेरी कर्नल की उपाधि दी.

आधुनिक युग में एक सैनिक के तौर पर तन, मन और धन से जितना जन समर्थन कैप्टन टॉम मूरे को मिला है वैसा किसी फ़ौजी योद्धा को नहीं मिला. अपने 100वें जन्मदिन पर ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ( National Health Service – एनएचएस) के लिए मात्र 1000 पाउंड जमा करने की मुहिम की खातिर अपने घरेलू बाग़ में हाल ही में शुरू की गई उनकी रोज़ाना की चहलकदमी ने इतना कमाल किया कि खुद इस योद्धा को भी हैरानी हो रही है. 30 अप्रैल को कैप्टन मूरे के 100 वें जन्म दिन पर, वैश्विक महामारी के साथ अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुए संकट के बावजूद 37 मिलियन पाउंड से ज्यादा की धनराशि इकट्ठा हो गई. पैसा ही नहीं लोगों ने इन पर अपना प्यार भी जमकर लुटाया. सैंकड़ों या हज़ारों की संख्या में नहीं, 30 अप्रैल तक इन्हें जन्मदिन की बधाई के डेढ़ लाख से भी ज्यादा बर्थ डे कार्ड कैप्टन मूरे तक पहुँच चुके थे.

कैप्टन टॉम मूरे

कैप्टन से कर्नल बने:

मजेदार बात ये भी है कि सैन्य जीवन में कैप्टन के रैंक तक पहुंचे टॉम मूरे को प्रेरणादायक शख्सियत बनने पर ब्रिटिश सेना ने कर्नल (ऑनरेरी) भी बना दिया. कैप्टन मूरे को कर्नल के रैंक से सम्मानित करते समय बृहस्पतिवार को जारी अपने संदेश में ब्रिटिश सेना के प्रमुख जनरल मार्क कार्ल्टन स्मिथ ने कहा कि परेशानियों में मज़ा खोज लेने वाले टॉम मूरे नई और पुरानी दोनों ही पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने टॉम मूरे को हेरोगेट के आर्मी फाउंडेशन कॉलेज का पहला ऑनरेरी कर्नल नियुक्त किया है.

कैप्टन टॉम मूरे

भारत से नाता :

30 अप्रैल 1920 को इंग्लैंड के वैस्ट राइडिंग ऑफ़ यॉर्कशायर में एक बिल्डर के घर में पैदा हुए टॉम मूरे का असली नाम थॉमसन मूरे है जिन्होंने 28 जून 1941 को ब्रिटेन की सेना में बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट कमीशन हासिल किया और दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया. प्राइड ऑफ़ ब्रिटेन और यार्कशायर रेजिमेंट मैडल से सम्मानित भारत में भी तैनात रहे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा अभियान में उन्होंने हिस्सा लिया था. भारत में मुंबई (तब बम्बई) और कोलकाता (तब कलकत्ता) उनकी तैनाती रही. हालांकि सेना में उनका कार्यकाल छोटा सा ही था. कुल जमा सात साल. बाद में वो कंक्रीट बनाने वाली कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हो गये थे.

कैप्टन टॉम मूरे का सौंवा जन्मदिन ऐसे भी मनाया गया.

यूँ की शुरुआत :

मोटर साइकिल रेस के शौक़ीन और जिंदादिली से जीने वाले टॉम मूरे ने 6 अप्रैल को अपने घर के बाग़ में वाकर का सहारा लेकर चहलकदमी शुरू की और लोगों से अपील की कि उन्हें अगले 24 दिनों में 1000 पाउंड जमा करने में मदद करें. ये 24 दिन उनके 100 वें जन्मदिवस पर पूरे होने थे. उनके उम्रदराज़ी, स्टाइल और नेक काम के प्रति समर्पण के साथ इस अपील का ऐसा असर हुआ कि टॉम मूरे न सिर्फ जबरदस्त तरीके से लोकप्रिय हुए बल्कि पाउंड्स की तो जैसे बरसात होने लगी.

सम्मान और लोकप्रियता :

थल सेना ने तरक्की दी और ब्रिटिश वायु सेना ने तो उनके जन्मदिन पर फ्लाई पास्ट तक किया. जनकल्याण के काम के लिए ‘चैरिटी वॉक’ करके सबसे ज्यादा धन राशि इकट्ठा करने का विश्व रिकॉर्ड भी गिनीज़ बुक में उनके नाम दर्ज हो गया है. संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल अंटोनियो गुतरेस ने भी उन्हें जन्मदिन पर वीडियो कॉल करके शुभकामनायें दीं. ब्रिटेन की डाक सेवा रॉयल पोस्ट ने उनके इस कार्य को सम्मान देने और इसकी याद को हमेशा कायम रखने के मकसद से डाक टिकट जारी करने का ऐलान किया.

सेहत की चुनौतियां :

हैरानी की बात तो ये है कि कैप्टन मूरे ने जिंदादिली का ये प्रदर्शन और स्वास्थ्य सेवा के प्रति ये समर्पण उम्र के इस पड़ाव में तब किया है जब खुद वो अपनी सेहत से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. दो साल पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा से त्वचा के कैंसर का इलाज करवा चुके टॉम मूरे की जमीन पर गिरने से कूल्हे की हड्डी टूट चुकी है. कूल्हे की हड्डी ही नहीं उनके घुटने भी रिप्लेस किये जा चुके हैं.