अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) बिल सेना की संयुक्तता और अनुशासन को बढ़ावा देगा

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लोकसभा ने (loksabha)अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 आज पास कर दिया. लोकसभा में  बिल को पास कराने का प्रस्ताव रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखा . उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक हमारी सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों में एकीकरण और एकजुटता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे वे एकजुट और एकीकृत तरीके से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे. ‘

विधेयक पर बोलते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह संयुक्तता को बढ़ावा देता है और अंतर-सेवा संगठनों के कमांडरों को बेहतर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि  मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक सैन्य सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उनका कहना था कि  सेना में कभी भी किसी परस्थिति में अनुशासनहीनता का कोई मामला सामने आने पर जल्द निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है. यह विधेयक किसी अंतर सेना संगठन में अनुशासन बनाए रखने के लिए त्वरित कार्रवाई का प्रावधान करता है.

अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) बिल, 2023   inter services organisation ( command ,control and discipline ) bill 2023  , 15 मार्च, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था.   यह अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को यह अधिकार देता है कि वे अपनी कमान के तहत आने वाले सेवाकर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक नियंत्रण रख सकते हैं, भले ही ववह किसी भी सेवा के हों.  बिल की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

अंतर-सेवा संगठन: मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को बिल के तहत गठित माना जाएगा जिसमें  अंडमान एवं निकोबार कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( nda )  शामिल हैं.  केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें तीन सेवाओं में से कम से कम दो से संबंधित कर्मचारी हों: थलसेना, नौसेना और वायुसेना.  इन्हें ऑफिसर-इन-कमांड के अधीन रखा जा सकता है. इन संगठनों में एक संयुक्त सेवा कमान भी शामिल हो सकती है, जिसे कमांडर-इन-चीफ के कमान के तहत रखा जा सकता है.


अंतर-सेवा संगठन का नियंत्रण: वर्तमान में अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं से संबंधित कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक शक्तियों का इस्तेमाल  करने का अधिकार नहीं है. बिल किसी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को इसमें सेवारत या इससे जुड़े कर्मियों पर कमान और नियंत्रण करने का अधिकार देता है. माना जा रहा है कि  वह अनुशासन बनाए रखने और सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों का उचित निर्वहन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा.

अंतर-सेवा संगठन का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा.  सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या जनहित के आधार पर निर्देश भी जारी कर सकती है.  केंद्र सरकार भारत में गठित और बरकरार किसी भी बल को अधिसूचित कर सकती है जिस पर बिल लागू होगा. यह थलसेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के अतिरिक्त होगा.

कौन होगा कमांडर-इन-चीफ commander in chief :  नियमित सेना ( indian army ) का जनरल ऑफिसर (ब्रिगेडियर के रैंक से ऊपर), नौसेना ( indian navy ) का फ्लैग ऑफिसर (एडमिरल ऑफ द फ्लीट, एडमिरल, वाइस-एडमिरल, या रियर-एडमिरल के रैंक), या  वायुसेना ( indian air force ) का एयर ऑफिसर (ग्रुप कैप्टन के रैंक से ऊपर) के अफसर   कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड के रूप में नियुक्त होने के पात्र हैं .

ऐसे में कमांडर इन चीफ थल सेना के कमांडिंग जनरल ऑफिसर,  नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ,  एयर कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ,  सेवा एक्ट में निर्दिष्ट कोई अन्य अधिकारी/अथॉरिटी, और  सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य अधिकारी/अथॉरिटी को हासिल सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों का इस्तेमाल  कर सकते हैं

यह बिल एक कमांडिंग ऑफिसर  ( commanding officer ) का प्रावधान करता है जो एक यूनिट, जहाज या इस्टैबलिशमेंट की कमान संभालेगा.  यह अधिकारी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड द्वारा सौंपे गए  काम को पूरा करेगा. इस कमांडिंग ऑफिसर को अंतर-सेवा संगठन में नियुक्त, प्रतिनियुक्त, तैनात या उससे जुड़े कर्मियों पर सभी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होगा.