जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों का आत्मघाती हमला नाकाम करने की कोशिश में भारतीय सेना के जख्मी हुए 6 जवानों में से एक जूनियर कमीशंड अधिकारी समेत 4 वीरगति को प्राप्त हुए. बृहस्पतिवार की तड़के की इस घटना में सैनिकों ने दोनों आतंकवादियों को भी मुठभेड़ में ढेर कर डाला. कश्मीर में सेना के किसी ठिकाने पर इस तरह के हमले की हाल फिलहाल में हुई ये पहली घटना है. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के तहत कड़े सुरक्षा बन्दोबस्त के बीच ऐसी घटना चिंता का बड़ा कारण बन गया है. वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों में सूबेदार राजेन्द्र प्रसाद, राइफलमैन लक्ष्मण डी, राइफलमैन मनोज कुमार और निशांत मलिक हैं.
ये दो आतंकवादी आधुनिक हथियार और गोला बारूद से लैस थे और राजौरी में सेना की पोस्ट की तरफ बढ़ रहे थे. खराब मौसम और धुंध के बीच इनकी संदेहास्पद गतिविधियों पर जब नजर पड़ी तो वहां तैनात सैनिकों ने इनको ललकारा लेकिन तभी आतंकवादी ने उनकी तरह हथगोला फेंका. इस हमले में 6 सैनिक घायल हो गए. इस बीच अन्य सैनिकों ने आतंकवादियों की घेराबंदी कर ली. बताया जाता है कि आतंकवादियों के पास एके सिरीज़ की बंदूकें और काफी असलाह था.
हमले के दौरान घायल हुए सैनिकों को तुरंत आर्मी अस्पताल ले जाया गया था जहां तीन को तो मृत घोषित कर दिया गया. उपचार के दौरान शाम को राइफलमैन निशांत मलिक ने प्राण त्याग दिए. निशांत हरियाणा के हांसी के रहने वाले थे. राइफलमैन मनोज कुमार का परिवार भी हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले के चांदपुर में शाहजहांपुर गांव का रहने वाला है. सूबेदार राजेन्द्र प्रसाद राजस्थान के झुंझुनुं के काशिमपुरा और लक्ष्मण डी तमिलनाडु में मदुरई के थुम्माकुंडू के पडूपट्टी गांव के थे.
आतंकवादी राजौरी ज़िले के दरहाल इलाके के परघाल स्थित सेना की पोस्ट में घुसने की कोशिश कर रहे थे. वहां सतर्क संतरियों ने जब इनको रोकना चाहा तो इन्होंने उन पर हथगोला फेंका और भीतर घुसने लगे. इसमें कई सैनिक घायल हुए. तब वहां मौजूद अन्य सैनिकों की आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई जिसमें दोनों हमलावर आतंकवादी मारे गए. जिस तरह से हमला किया गया उससे ये स्पष्ट होता है कि ये आतंवादियों का आत्मघाती दुस्साहस था.