फ़ौज और फौजियों के जीवन में ऐसा बहुत कुछ घटता है जो शूरवीरता से लेकर भावुक रिश्तों की असंख्य कहानियां गढ़ने का स्त्रोत बन जाता है. इंसानी रिश्ते ही नहीं सैनिकों के इस्तेमाल किये जाने वाले कई बेहद साधारण से सामान भी असाधारण काम करने के कारण इतनी अहमियत रखते हैं कि यात्रा से लेकर रणक्षेत्र तक कभी कभी उसके अभाव में खालीपन पैदा कर देता है . सैनिकों के इस्तेमाल में आने वाली पानी की वो बोतल भी ऐसी ही एक चीज़ है .
वक्त और स्थान के साथ साथ रूप बदलती रही इस बोतल का चलन बेशक कम हुआ हो लेकिन इसके किस्से आज भी खूब सुने और सुनाये जाते हैं . ऐसी ही रोचक किस्सागोई भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त ) जी एस शेरगिल ने हाल ही में सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर अपनी पोस्ट के जरिये की है. उसी को यहां अनुवादित करके पेश किया जा रहा है :
सबसे पहली वाली बोतल मशहूर हिप फ्लास्क की विनम्र पूर्ववर्ती है.
लेकिन जहां तक आधुनिक हिप फ्लास्क (hip flask ) की बात है तो मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल कम मात्रा में रम /व्हिस्की भरने में किया जाता है. हिप फ्लास्क को पिछली जेब में खोंस दिया जाता है . यानि ये दो काम करती है . (दूसरी और तीसरी तस्वीर)
मुख्य रूप से सैनिक एक लीटर पानी वाली इस बोतल को अपनी कमर में वर्दी वाली बेल्ट में सुरक्षित ढंग से फंसा कर रखते है जो कूल्हे पर टिकी रहती है . यह ‘ कैंटीन ‘ के नाम से जानी जाती है. इस नाम करण के पीछे कारण चाहे जो हो .
हालांकि, एक दोस्त की तरह, कई बार यह दुश्मन की गोलियों से सैनिकों की जान भी बचाती है . ( तस्वीर नंबर 3)
अब सलाम “कैंटीन” को ..। और उनको ( सैनिकों को ) जो इसे अपने साथ रखते हैं .
नोट : उपरोक्त तस्वीरों में गोलियों क्स हुए सुराखों वाली बोतल 13 कुमाऊं के नायक गुलाब सिंह की है. उन्होंने नवंबर 1962 में चीनी सेना के साथ लड़ते हुए लद्दाख के रेजांगला की लड़ाई में अनुकरणीय साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण दिखाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था. नायक गुलाब सिंह को वीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था. यह बोतल रेजांगला के संग्रहालय में रखी है .
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