स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खंदेरी तैयार, कई पनडुब्बियां जल्दी आयेंगी

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सेना की तरफ से पनडुब्‍बी हासिल करने के दस्‍तावेज पर एमडीएल के अध्‍यक्ष व प्रबंध निदेशक राकेश आनंद और नौसेना की पश्चिमी कमान के नौसैनिक कमांडर बी. सिवकुमार ने एमडीएल के निदेशकों और नौसैनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हस्‍ताक्षर किए.

समुद्री जहाज बनाने वाली रक्षा क्षेत्र की सरकारी कम्पनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL एमडीएल) ने मुंबई में भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए स्कॉ‍र्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खंदेरी तैयार करके सेना को सौंपी है. खंदेरी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. सेना की तरफ से पनडुब्बी हासिल करने के दस्तावेज पर एमडीएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक राकेश आनंद और नौसेना की पश्चिमी कमान के नौसैनिक कमांडर बी.सिवकुमार ने एमडीएल के निदेशकों और नौसैनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए. खंदेरी की आपूर्ति के साथ, भारत ने पनडुब्बी निर्माण करने वाले राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत बनाया है.

पनडुब्बी खंदेरी का नाम हिन्द महासागर में पाई जाने वाली एक खतरनाक शिकारी मछली-सॉ फिश के नाम पर रखा गया है. पहली खंदेरी पनडुब्बी 6 दिसंबर 1968 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी. तकरीबन 20 साल से ज्यादा वक्त की सेवा के बाद इस पनडुब्‍बी को 18 अक्टूरबर 1989 को नौसेना से अलविदा कह दिया गया था. इसमें बदलाव कर एमडीएल अब इसे भारतीय समुद्री सीमाओं के रक्षक पोत के रूप में इस्तेमाल करेगा.

रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्कॉर्पीन को बनाना दरअसल में एमडीएल के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि इसका अधिकांश निर्माण कार्य मझगांव डॉक के ऐसे स्थान पर किया गया जहां पहले से कई निर्माण कार्य चल रहे थे जिसकी वजह से वहां जगह की काफी तंगी हो गई थी. हालाँकि, इन सभी चुनौतियों से निबटते हुए गुणवत्ता में किसी भी प्रकार का समझौता किए बिना एमडीएल द्वारा पनडुब्बी का निर्माण सफलतापूर्वक कर लिया गया.

स्कॉर्पीन में इस्तेमाल तकनीक ने पनडुब्बी की बेहतर विशेषताओं को सुनिश्चित किया है. स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां आमतौर पर किसी भी आधुनिक पनडुब्बी द्वारा किए जाने वाले विविध कार्यों को बड़ी निपुणता के साथ कर सकती हैं.

स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी करंज का निर्माण 31 जनवरी 2018 को शुरु किया गया था. यह पनडुब्बी अभी समुद्री परीक्षण के अपने कई चरण से गुजर रही है. स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी-वेला का हाल ही में मई 2019 में जलावतरण किया था. इसे समुद्री परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है जबकि दो अन्य स्कॉर्पीन पनडुब्बियां- वागीर और वागशीर निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं.

दिलचस्प बात तो ये है कि एमडीएल की तरफ से 1992 और 1994 में बनी दो एसएसके पनडुब्बियां 25 साल पूरा हो जाने के बाद भी अभी तक भारतीय नौसेना में सही तरीके से काम कर रही हैं.

एमडीएल स्वदेशी तकनीक से युद्धपोतों के निर्माण में हमेशा से आगे रहा है. इसने आईएनएस गोदावरी और लिएंडर जैसे युद्धपोतों के अलावा मिसाइल नौकाओं, दिल्ली और कोलकाता श्रेणी के युद्धपोत, एसएसके और स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया है. एमडीएल ने अपने आधुनिकीकरण का व्यापक कार्य पूरा किया है. इसके तहत मौजूदा समय एमडीएल में आठ युद्धपोतों, छह पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है.