भारतीय सेना में नॉन कमीशंड अधिकारियों (एनसीओ) की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) नये तरीके से लिखने का प्रस्ताव रखा है. इसके तहत नॉन कमीशंड अधिकारियों की अभी तक जो एसीआर अभी अधिकारी लिखते हैं वो जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) लिखा करेंगे. सेना मुख्यालय की तरफ से ऐसा एक प्रस्ताव सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के निर्देशों के तहत परीक्षण और अमल में लाने के लिए बनाया गया है.
अंग्रेजी दैनिक इन्डियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जवान से लेकर हवलदार रैंक के एनसीओ की जो एसीआर कम्पनी कमांडर कमीशंड अधिकारी लिखते हैं वो एसीआर अब प्लाटून कमांडर के तौर पर तैनात नायब सूबेदार और सूबेदार और यूनिट के वे वरिष्ठ जेसीओ और सूबेदार मेजर लिखेंगे जिनके मातहत वे सेवा देते हैं. फिलहाल एसीआर में जेसीओ की कोई भूमिका नहीं होती. अखबार की खबर के मुताबिक़, इस प्रस्ताव में प्रावधान है कि नये सिस्टम के तहत एसीआर की समीक्षा (रिव्यू) कम्पनी कमांडर करेंगे.
खबर में सेना मुख्यालय की एद्जूटेंट जनरल ब्रांच की तरफ से 13 सितम्बर को जारी पत्र का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि जेसीओ कमान नियन्त्रण ढांचे में अहमियत रखते हैं. पत्र में कहा गया है कि जेसीओ को शक्तियां दी जा रही हैं ताकि अपने मातहतों पर ज्यादा नियन्त्रण रख सकें. एद्जूटेंट जनरल ब्रांच की तरफ से इस पहल पर टिप्पणियां भी मांगी गई हैं ताकि 31 अक्टूबर तक, एनसीओ रैंक का न्यायसंगत आकलन हो सके. साथ ही ये भी बताया गया है चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ सचिवालय के केआरए मानिटरिंग सेल (Key Result Area Monitoring Cell) ने प्रस्ताव में ज़िक्र किये गये बदलावों को हरी झंडी दे दी है.
प्रस्ताव को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं. कुछ अधिकारियों का मानना है कि एक बड़ा प्रतिशत ऐसे जेसीओ का है जो अच्छे तरीके से लिख नहीं सकते और क्यूंकि इसके लिए खासी समझ भी होनी चहिये जोकि उनके पास नहीं है. दूसरा, क्यूंकि जेसीओ भी उसी क्षेत्र और सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं तो उन पर अलग तरह का दबाव भी रहेगा. इसके साथ ही जवानों और अधिकारियों के बीच में दरार भी पड़ जायेगी.
जेसीओ को ज्यादा शक्तियाँ देने की ये दूसरी अहम पहल मानी जा सकती है. दो साल पहले सेना जेसीओ को राजपत्रित अधिकारी माना था और एक अपने पुराने उस कथन को वापस लिया था कि जेसीओ राजपत्रित अधिकारी नहीं हैं. ये मामला एक आरटीआई की वजह से मुद्दा और सवाल बना था.