राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित संघर्ष क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों को संबोधित किया. इस जगह को ‘थर्ड पोल’ भी कहा जाता है, जहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे भी पहुंच जाता है. तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रपति ने यहां 6000 मीटर ऊंचे ग्लेशियर पर भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) समाप्त होने वाले स्थान पर जवानों को संबोधित किया. उनके साथ थल सेना प्रमुख बिपिन रावत और सेना के उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट डी.अनबु भी थे. यहां जवानों ने उन्हें शानदार गार्ड आफ आनर दिया. राष्ट्रपति ने अधिकारियों और जवानों से बातचीत की. यहाँ उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी.
उन्होंने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र सेना के सुप्रीम कमांडर और देश का राष्ट्रपति होने की हैसियत से वह ‘पूरे देश की तरफ से उनका आभार मान रहे हैं’ कि वे लोग खतरनाक और मौसम की मुश्किल परिस्थितियों के बीच देश के सीमा की बहादुरी के साथ रक्षा कर रहे हैं।
श्री कोविंद ने इस पर अपने ट्वीट संदेश में कहा, “सियाचिन में अपने वीर सैनिकों से मिलने का सौभाग्य मिला. सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में अपने सैनिकों पर गौरव का अनुभव करता हूं. आप राष्ट्र के गौरव और हमारी स्वाधीनता के प्रहरी हैं. आपकी सावधानी व चौकसी के भरोसे देश के नागरिक चैन की नींद सोते हैं.”
राष्ट्रपति कोविंद ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया “राष्ट्र् के गौरव का प्रतीक हमारा तिरंगा इस ऊंचाई पर पूरी शान के साथ सदैव लहराता रहे, इसके लिए आप सब बेहद कठिन चुनौतियों का सामना करते रहते हैं. अनेक सैनिकों ने यहां सर्वोच्चब बलिदान भी दिया है. मैं ऐसे सभी बहादुर ‘सियाचिन वॉरियर्स’ को नमन करता हूँ.”
जवानों से मुलाकात के दौरान श्री कोविंद ने कहा देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सभी सैन्यकर्मियों और अधिकारियों के लिए हर भारतवासी के दिल में विशेष सम्मान है और आपकी वीरता के प्रति गर्व का भाव भी. भारत की कोटि-कोटि जनता की यह भावना मैं आप सब तक पहुंचाना चाहता था. आज आप सबसे मिलकर मुझे बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने एक और ट्वीट किया, “आप सबका जब भी दिल्ली आना हो, तो राष्ट्रपति भवन को देखने जरूर आएं. आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत है.”
14 साल के अरसे में ये पहला मौका है जब भारत के राष्ट्रपति ने सियाचिन और कुमार चौकी का दौरा किया हो. उनसे पहले डा. एपीजे अब्दुल कलाम यहाँ सैनिकों से मिलने आये थे.
अप्रैल 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत भारतीय सेना ने सियाचिन में प्रवेश किया था। तब से लेकर आज तक, आप जैसे वीर जवानों ने मातृ-भूमि के सबसे ऊंचे इस भू-भाग पर शत्रु के क़दम नहीं पड़ने दिए हैं — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/Jp4gn3Cest
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 10, 2018
पिछले लगभग 34 सालों में सियाचिन के कठिन मोर्चे पर तैनात आप जैसे बहादुर सैनिकों के वीरता-पूर्ण प्रदर्शन से देशवासियों को यह भरोसा मिला है कि आप सबके रहते हुए देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/dO6tPSPL2O
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 10, 2018
आप सभी एक दूसरी और भी लड़ाई लड़ते हैं – वह है अपने परिवार के लोगों से दूर रहने की – जो हमेशा अनेक तरह की आशंकाओं से ग्रसित रहते हुए भी आपके घर को व्यवस्थित ढंग से चलाते हैं और आपकी कुशल-क्षेम के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहते हैं — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 10, 2018
आज मैं आप सबको यह विश्वास दिलाने के लिए आया हूं कि हमारा हर देशवासी आपके परिवार-जनों की प्रार्थनाओं में, उनके कुशल-क्षेम और बेहतर भविष्य के लिए सदैव उनके साथ खड़ा है — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/JofB6SgTEf
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