जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों से सेना को हटाने की योजना फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई है. हालांकि सरकार ने कभी भी इस योजना का ऐलान नहीं किया था लेकिन मीडिया में कुछ अरसे से इस तरह के समाचार आते रहे हैं जिनमें ऐसी योजना का हवाला दिया जाता था. इनके मुताबिक़ केंद्र शासित क्षेत्र के जम्मू संभाग के भीतरी इलाकों से सेना की मौजूदगी को कम करके वहां स्थानीय पुलिस या अन्य बलों को स्थापित करने की योजना थी. आतंकवाद और घुसपैठ से जुड़ी हाल की कुछ घटनाओं के बाद अब उस योजना पर काम रोक दिया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से राजधानी श्रीनगर से आए एक ताज़ा समाचार के मुताबिक़ जम्मू के कुछ इलाकों में सेना के आतंकवाद विरोधी बल ‘राष्ट्रीय राइफल्स’ के जवानों की मौजूदगी घटाने और सुरक्षा व्यवस्था जम्मू-कश्मीर पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के हाथों में सौंपने की योजना बनाई थी. जम्मू संभाग में थल सेना की , आतंक व घुसपैठ निरोधक कारवाइयों (counterinsurgent forces – CIF) हैं जिनमें जम्मू क्षेत्र के लिए डेल्टा फ़ोर्स delta force है जो डोडा में काम करती है , रोमियो फ़ोर्स romeo force यहां के राजौरी व पूंछ में निगाह रखती है जबकि यूनिफ़ॉर्म फ़ोर्स uniform force ऊधमपुर और बनिहाल क्षेत्र के लिए है .
पीटीआई के हवाले से आई इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण पीर पंजाल में सेना की कुछ यूनिटों को धीरे धीरे कम करके हटाने और उनके स्थान पर सुरक्षा व क़ानून व्यवस्था का प्रबंध अर्द्ध सैन्य बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस के हवाले करने की योजना थी लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए इसे अनिश्चित काल के लिए मुल्तवी कर दिया गया है. रिपोर्ट में इसके पीछे खासतौर से इस साल आतंकवादियों की तरफ से की वारदात और गतिविधियों का हवाला दिया गया है . इनमें जम्मू क्षेत्र में आतंकवादियों ने 17 हत्याएं की. मारे गए इन लोगों में सेना के 10 जवान थे.
1 जनवरी 20 23 को राजौरी के डांगरी गांव में 7 नागरिकों की हत्या की गई थी. इसमें गोलीबारी भी और बम धमाका भी किया गया था . 20 अप्रैल 2023 पूंछ ज़िले में मेंढर तहसील के भट्टा दुर्रियाँ में सेना के वाहन पर हमला करके 5 सैनिकों की जान ले ली गई थी. तब रमजान का महीना था और ये सैनिक पास के ही एक गांव में इफ्तार के लिए खाने पीने का सामान पहुंचाने जा रहे थे. हाल ही में यानि 5 मई को राजौरी के कांडी के जंगलों में आई ई डी धमाका करके पांच पैरा कमांडो की जान ले ली गई. इस वारदात में मेजर स्तर का एक अफसर घायल भी हुआ.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना को धीरे धीरे कम करने की योजना को अंतिम रूप से हरी झंडी देने का फैसला एकीकृत मुख्यालय (Unified Headquarters – UHQ)को करना था जिसके प्रमुख जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज कुमार सिन्हा हैं . एकीकृत मुख्यालय में सेना के अलावा पुलिस और अर्ध सैन्य बलों के प्रतिनिधि होते हैं.
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर में करीब 1.3 लाख सैनिकों की तैनाती है और इनमें से करीब 80 हजार सैनिक भारत की सीमाओं पर तैनात हैं. कश्मीर के भीतरी हिस्से में राष्ट्रीय राइफल्स के करीब 40 से 45 हजार जवान आतंकरोधी अभियान चलाते हैं. दूसरी तरफ , केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल यानि सीआरपीएफ (crpf ) के करीब 60 हजार जवानों की तैनाती है . इन जवानों में तकरीबन 45 हजार कश्मीर घाटी में तैनात हैं. वहीँ 83 हजार के संख्या आंकड़ा जम्मू-कश्मीर पुलिस की भी है. इसके अलावा घाटी में कुछ कंपनियां अन्य केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (capf) की भी हैं. सीएपीएफ की कुछ कंपनियां भी घाटी में हैं.