अर्शदीप कइयों को नया जीवन दे अमर हो गया – एक वीर सैनिक पिता का फैसला

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थल सेना के हवलदार नरेश कुमार और उनका दिवंगत पुत्र अर्शदीप सिंह
भारतीय थल सेना  के एक हवलदार नरेश कुमार की निस्वार्थता और सोच ने सबके दिलों  को छू लेने वाला वाला कारनामा कर डाला. एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद जान गंवा बैठे अपने जवान बेटे के अंगों को दान करने के उनके निर्णय ने कइयों को नई ज़िन्दगी बख्शी है .

हवलदार नरेश का यह फैसला  देशभक्ति से भी बड़ा मानव कल्याण का  काम है. यह भी कहा जा सकता है कि ऐसे सैनिक देश की दी हुई वर्दी का सम्मान बढ़ाते हैं . वैसे अर्शदीप के अंगदान के  इस पूरे घटनाक्रम में  भारतीय सेना की पश्चिम कमान के मुख्यालय चंडी मंदिर स्थित कमांड अस्पताल के डॉक्टरों की टीम की बेहद ख़ास भूमिका रही.

हवलदार नरेश कुमार भारतीय थल सेना ( indian army ) की महार रेजीमेंट की 10वीं बटालियन  में तैनात हैं .  उनका बेटा  अर्शदीप सिंह 8 फरवरी 2025 को एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया था. उसे अस्पताल लाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड ( brain dead ) घोषित कर दिया वैसे शरीर के भीतर के उसके कई अंग सही थे और काम कर रहे थे. ऐसे में  जब डॉक्टरों ने बताया कि वे अंग कई रोगियों के काम आ सकते है  तो हवलदार नरेश कुमार ने अपने ब्रेन-डेड बेटे के अंगों को दान करने की सहमति दी.

अर्शदीप सिंह के अंगों को प्रत्यारोपण के लिए पश्चिमी कमान के मुख्यालय चंडीमंदिर स्थित कमांड अस्पताल से रवाना करते समय उन डॉक्टरों , नर्सों और तकनीकी स्टाफ की तस्वीर जिसने अंगदान प्रक्रिया को सफलता से पूरा किया

16 फरवरी को चंडी मंदिर कमांड अस्पताल के विशेषज्ञों  की अंग  प्रत्यारोपण टीम को  अर्शदीप सिंह के लिवर, किडनी, अग्न्याशय और कॉर्निया को सही सलामत  निकालने में कामयाबी मिल गई . इन अंगों में विभिन्न  बीमारियों से पीड़ित छह से ज्यादा  रोगियों के जीवन को बचाने के लिए विभिन्न चिकित्सा सुविधाओं में ले जाया गया. लीवर और किडनी को चण्डीगढ़ से दिल्ली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सेना के दिल्ली स्थित  रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल (R&R hospital) ले जाया गया. ग्रीन कॉरीडोर बनाने में मिलिटरी पुलिस ने सडक मार्ग पर बन्दोबस्त किए वहीं अंगों को दिल्ली लाने में  भारतीय वायु सेना के  विमान ने उड़ान भरी.

किडनी और अग्न्याशय को पीजीआई के एक मरीज को दान किया गया, जो जानलेवा बीमारी ( मधुमेह   टाइप I के साथ किडनी रोग )  से पीड़ित था. वहीं कॉर्निया को जरूरतमंदों को दृष्टि देने के लिए कमांड अस्पताल के ‘आई बैंक’ (eye bank ) में संरक्षित किया गया.

कमांड अस्पताल की टीम अंगों को पुनः प्राप्त कर रही है और हाल ही में भारत सरकार द्वारा इसे सर्वश्रेष्ठ अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र का सम्मान  दिया गया है.  एक बयान में, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि हवलदार नरेश कुमार का अपने बेटे के अंगों को दान करने का निर्णय मानवता के प्रति त्याग और समर्पण  एक शानदार मिसाल  है. बयान में कहा गया है, “एक मार्मिक श्रद्धांजलि में, हवलदार नरेश कुमार ने सुनिश्चित किया है कि उनके बेटे की विरासत जीवित रहे, जिससे वह शब्द के सबसे सच्चे अर्थों में अमर हो जाए. ”