भारत की सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (national defence academy) का कोर्स पास करके भारतीय सेना में अधिकारी बनने की महिलाओं की बढ़ी आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के उस अनुरोध को ठुकरा दिया है जिसमें कहा गया था कि एनडीए (NDA ) के ज़रिये सेना में महिलाओं की भर्ती को फिलहाल टाला जाए. केंद्र सरकार ने कहा था एनडीए की प्रवेश परीक्षा में महिला उम्मीदवारों को अगले साल से शामिल करने की अनुमति दी जाए. सरकार का कहना था कि अभी इसके लिए तैयारी नहीं हो सकी है. लेकिन अदालत ने अपने पुराने आदेश में कोई भी परिवर्तन करने से इनकार करते हुए कहा है कि सेना हर तरह की आपात स्थितियों में काम करने में सक्षम है और उम्मीद की जाती है कि इसका भी हल निकाल लेगी.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के अनुरोध को 22 सितंबर को खारिज कर दिया. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती कि महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित किया जाए और महिलाओं को एनडीए में शामिल करने के लिये एक साल तक इंतज़ार नहीं किया जा सकता. रक्षा मंत्रालय की तरफ से केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिला उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश परीक्षा में बैठने की इजाज़त देने वाली अधिसूचना अगले साल मई (2022 ) तक जारी की जाएगी. एनडीए की प्रवेश परीक्षा साल में दो बार होती है. इस पर अदालत ने कहा कि इसका मतलब महिलाओं को सेना में 2023 में शामिल किया जाएगा.
जस्टिस कौल की पीठ ने कहा कि आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सशस्त्र बल सबसे अच्छी प्रतिक्रिया टीम है और उम्मीद है कि बिना देरी महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का रास्ता बनाने के लिए ज़रूरी इंतजाम कर लिए जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रक्षा विभाग को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सहयोग से जरूरी काम करना चाहिए.
अदालत ने याचिकाकर्ता कुश कालरा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चिन्मय प्रदीप शर्मा की दलीलों पर गौर किया. वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए एक अध्ययन समूह बनाया गया है और इसको सुविधाजनक बनाने के लिए ज़रूरी तंत्र मई 2022 तक अमल में लाया जा सकता है.
एनडीए प्रवेश परीक्षा 14 नवंबर को :
एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने 14 नवंबर को होने वाली अगली एनडीए प्रवेश परीक्षा को छोड़ने की अपील की तो पीठ ने कहा, “हम आपकी समस्याओं को समझते हैं. मुझे यकीन है कि आप लोग समाधान खोजने में सक्षम हैं. परीक्षा देने के इच्छुक उम्मीदवारों की आकांक्षाओं को देखते हुए केंद्र से इस अनुरोध को स्वीकार करना हमारे लिए कठिन है”. अदालत ने कहा कि सशस्त्र सेवाओं ने बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना किया है. आपात स्थिति से निपटना उनके प्रशिक्षण का एक हिस्सा है. हमें यकीन है कि वे इस आपातकालीन स्थिति से पार पा लेंगे.