रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ DRDO) ने नई दिल्ली में आज ‘डीआरडीओ-एकेडमिया इंटरैक्शन फॉर इंप्रूवमेंट इन फ्यूचर टेक्नोलॉजीज’ नामक कार्यशाला का आयोजन किया जिसका मकसद देश में उपलब्ध अकादमिक विशेषज्ञता का लाभ उठाना और शिक्षा जगत के साथ तालमेल बढ़ाना था. सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाने के लिए विभिन्न अवधारणाओं पर चर्चा की गई ताकि अनुसंधान सीधे रक्षा उत्पादों और अनुप्रयोगों की दिशा में योगदान दे सके. देश में उपलब्ध शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को उन्नत रक्षा उत्पादों के डिजाइन और विकास में योगदान के लिए रणनीतिक रूप से लगाने के तरीकों पर भी चर्चा की गई.
रक्षा अनुसंधान और विकास में नवाचार को अवशोषित करने की अपार संभावनाएं हैं जो न केवल अनुसंधान और विकास संगठनों तक सीमित है बल्कि देश के किसी भी कोने से अंकुरित हो सकती है. DRDO के विशेष रुचि के विषयों पर लक्षित उन्नत अनुसंधान करने हेतु डीआरडीओ के द्वारा भविष्य के रक्षा अनुप्रयोगों की कल्पना करने और उन्हें साकार रुप देने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी के आठ केंद्र की स्थापना पहले से की गई है. कार्यशाला में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविदों ने डीआरडीओ (DRDO) और अकादमिक संस्थानों के बीच अंतःक्रिया करने के लिए कई अवधारणायें पेश की.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिक्षा जगत और रक्षा अनुसंधान एवं विकास के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में डीआरडीओ द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी उत्कृष्टता राष्ट्रीय गौरव से जुड़ी हुई है और भावी रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अकादमिक विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए लगातार कोशिश करते रहने की ज़रुरत पर जोर दिया.
इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भावी तैयारी के लिए उन्नत प्रणोदन, टेराहर्ट्ज टेक्नोलॉजीज, एडवांस्ड रोबोटिक्स, साइबर टेक्नोलॉजीज, परिमाण प्रोद्योगिकियों जैसी तीव्र सामग्री के क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आह्वान किया. उन्होंने डीआरडीओ और शिक्षा विदों जैसे कार्स (सीएआरएस) प्रोजेक्ट्स, असाधारण अनुसंधान परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी विकास निधि, निर्देशित अनुसंधान परियोजना और कलाम नवोन्मेष पुरस्कार आदि के बीच संबंधों के लिए विभिन्न मौजूदा तंत्रों के बारे में बात की. डॉ रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान और विकास की मुख्यधारा में शिक्षा जगत की भागीदारी को सक्षम बनाने के लिए व्यवसाय के और मॉडल लाने के लिए तैयार है. उन्होंने प्रस्ताव किया कि प्रौद्योगिकीय उत्पादन में वृद्धि और रक्षा उत्पादों में इसके उपयोग के लिए दोनों पक्षों की जवाबदेही के साथ व्यवसाय के मॉडलों पर काम करने की ज़रूरत है. शिक्षा जगत से प्रस्तावों और विचारों का स्वागत है.
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) में सचिव (उच्च शिक्षा) आर सुब्रमण्यम ने अपने संबोधन में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के त्वरित विकास के लिए सभी हितधारकों के बीच पारिस्थितिकी प्रणाली और प्रभावी तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने आगे का रास्ता विकसित करने के लिए संयुक्त कार्य दल का प्रस्ताव रखा.
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) में अपर सचिव राजेश सरवाल, आईआईटी दिल्ली, जोधपुर, वाराणसी, पलक्कड़, गुवाहाटी के निदेशक; एनआईटी जयपुर, भोपाल, कालीकट, दिल्ली और कुरुक्षेत्र के निदेशक; हैदराबाद, जाधवपुर, मिजोरम और भारतियार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. महानिदेशक (संसाधन एवं प्रबंधन तथा सिस्टम विश्लेषण एवं मॉडलिंग), महानिदेशक (प्रौद्योगिकी प्रबंधन), महानिदेशक (मानव संसाधन), महानिदेशक (जीव विज्ञान), डीआरडीओ से महानिदेशक (सूक्ष्म इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण, कंप्यूटेशनल सिस्टम्स एंड साइबर सिस्टम्स) और अन्य प्रख्यात शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों के प्रतिनिधि भी विचार-विमर्श के दौरान उपस्थित थे.