कई खासियत भरा है आज कमीशन हुआ नौसेना का जासूसी जहाज़ आईएनएस संधायक जे18

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आईएनएस संधायक

समुद्र की गहराइयों में होने वाली तमाम तरह  की हलचल , बदलती परिस्थितियों  और आसपास के माहौल पर निगाह रखते हुए खुद की सुरक्षा भी करने  में काबिल संधायक एक बार फिर सागर में औपचारिक तौर पर उतार दिया गया . संधायक  श्रेणी के चार जहाजों में एक आईएनएस संधायक  को आज  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में विशाखापत्तनम में कमीशन किया गया . तीन हज़ार टन से भी ज्यादा वजनी और 110 मीटर लम्बा आईएनएस संधायक  गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है और इसका 80 प्रतिशत हिस्सा व साजो साजो सामान भारत निर्मित है.

आईएनएस संधायक विभिन्न उपकरणों के ज़रिये पानी के भीतर होने वाली गतिविधियों की जानकारी हासिल करके उसका आकलन करता है ताकि किसी भी तरह के खतरे या समस्या का पता लगाकर उसका निराकरण किया जा सके . जासूसी के अलावा आपात परिस्थितियों में यह समुद्री अस्पताल का भी काम करने में सक्षम  है . निगहबानी के लिए जहां इसके पास हेलिकॉप्टर भी है तो किसी भी तरह के खतरे से निबटने के लिए बोफोर्स तोप भी है.

विशाखापतनम में आईएनए संधायक को कमीशन किये जाने के अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना की उपलब्धियों का ज़िक्र हुए अधिकारियों व कार्मिकों को बधाई दी. समुद्र में हाल की कुछ घटनाओं का ज़िक्र करते हुए और उनमें भारतीय नौसेना की निभाई भूमिका की संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि इससे पूरी दुनिया भारतीय नौसेना की तारीफ़ कर रही है . संधायक के निर्माण को उन्होंने भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण बताया.

संधायक जे 18 ( sandhayak J18 ) इस श्रेणी के 4 जहाजों में से पहला है जिन्हें 2016  भारतीय नौसेना ने अपनी ज़रूरत बताते हुए मांग की थी .  इसके लिए टेंडर जारी हुआ और जहाज़ बनाने का ठेका हासिल करने के  मुकाबले में रक्षा मंत्रालय के उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स  ( GRSE ) ने एल एंड टी  ( L & T ) को पछाड़ दिया.  सरकार ने जी आर एस ई को 30 अक्टूबर 2018 को यह ठेका सौंपा. निर्माण के लिए 36 महीने का समय दिया गया.

पूर्व में डीकमीशन (decommission) किए गए  संधायक के नाम पर ही संधायक जे18 का नामकरण हुआ. इसकी कील रस्म (keel ceremony ) 1 दिसंबर 2020 को हुई  और साल भर बाद यानि 5 दिसंबर 2021 को इसे लांच किया गया. विभिन्न तरह से बंदरगाह और समुद्र में परखने के बाद 3 दिसंबर 2023 आई एन एस संधायक भारतीय नौसेना ( indian navy ) को सौंप  दिया गया था.

इसी श्रेणी के बाकी तीन सर्वेक्षण जहाज़ निर्देशक , इक्षक और संशोधक  पर काम क्रमश 2020 , 2021 और 2022 भी शुरू हुआ. सबसे आखिर में जून 2023 में संशोधक की लांचिंग हुई है .