मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल : ऑपरेशन बालाकोट पर परिचर्चा में खुलासे हुए

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चण्डीगढ़ में चल रहे मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे संस्करण के दौरान वायु सेना के तत्कालीन प्रमुख रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ.

भारतीय वायु सेना की पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों के अड्डे पर की गई कार्रवाई का सार्वजनिक तौर पर अधिकतम तथ्यों के साथ किये गये खुलासे का ये पहला मौका था. खुलासा भी किसी और ने नहीं वायु सेना के तत्कालीन प्रमुख रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने किया और एक चौंकाने वाली बात भी कही. उन्होंने कहा कि बालाकोट पर की गई कार्रवाई से पहले सेना के तीनों अंगों ने पूरी तैयारी की थी और पाकिस्तान की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो जवाब दे सके क्यूंकि उसकी अर्थव्यवस्था एकदम खस्ता थी और विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम था.

मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल

मार्शल धनोआ वायुसेना के प्रमुख की वर्दी त्यागने के बाद इस मुद्दे पर पहली बार खुल के बोले. मौका था चण्डीगढ़ में चल रहे मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे संस्करण के दौरान परिचर्चा ‘अंडरस्टेंडिंग द मैसेज ऑफ़ बालाकोट’ (बालाकोट के संदेश को समझना) का जिसका लब्बोलुआब ये था कि पाकिस्तान बालाकोट में भारत की आतंकवादी अड्डे हमले की असलियत को जानबूझकर नहीं कबूल रहा लेकिन वक्त आएगा जब वो न सिर्फ उस हमले की हकीकत कबूलेगा बल्कि विंग कमांडर अभिनन्दन के हमले में गिरे उसके एफ 16 फाइटर प्लेन की सच्चाई भी सामने आएगी. मार्शल धनोआ ने पाकिस्तान की असलियत छिपाने की फितरत और फिर उसके ही किसी पक्ष की तरफ से किसी न किसी ज़रिये से सच्चाई सामने आने के उदाहरण भी दिए.

मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल

धनोआ ने कहा कि 26 -27 फरवरी की रात को जब ये सटीक कार्रवाई की गई तब आसमान में बादल बने हुए थे और पाकिस्तान को दूर दूर तक भान भी नहीं था कि भारत पुलवामा के बाद इस तरह से जवाबी कार्रवाई भी कर सकता है. असल में, 13 दिसम्बर को भारत की संसद पर हमले और बाद में मुम्बई पर हमले की घटनाओं के बाद, पाकिस्तान में किसी गैर सैन्य ठिकाने पर भारतीय सेना की ये पहली कार्रवाई थी. पूर्व वायु सेना प्रमुख धनोआ ने कहा कि पाकिस्तान को बालाकोट हमले से संदेश मिल गया है कि पुलवामा जैसी हरकतों की उसे कीमत चुकानी पड़ेगी.

इस परिचर्चा के दौरान विंग कमांडर समीर जोशी ने सेटेलाइट और विभिन्न एजेंसियों से मिली तस्वीरों, जानकारियों, वीडियो इमेज, राडार डाटा, रेडियो संदेश आदि के आधार पर किये गये अपने विश्लेषण का भी प्रदर्शन किया जिसमें एलओसी के पार भारत की तरफ से पहली बार दागे गये बमों के स्वरूप और निशाने की सटीकता का विस्तार से वर्णन किया. अपने इस विश्लेषण के ज़रिये विंग कमांडर समीर जोशी ने ये बताने की कोशिश भी की कि भारतीय हमले में पाकिस्तानी आतंकी अड्डे पर प्रभावी कार्रवाई हुई. इसी परिचर्चा में शामिल हुई अमेरिकन शोधकर्ता क्रिस्टीन ने विंग कमांडर समीर जोशी के विश्लेषण के कुछ पहलुओं पर सवालों के घेरे में लेते हुए कहा कि उनकी राय में अभिनन्दन द्वारा गिराया गया विमान एफ 16 नहीं था.

इसी परिचर्चा में सुरक्षा व सैन्य मामलों के विशेषज्ञ और फ़ोर्स पत्रिका के सम्पादक प्रवीन साहनी ने भारतीय वायुसेना के विमानों के आपसी सिग्नल प्रणाली और डाटा लिंकेज में खामी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि अगर ये प्रणाली दुरुस्त होती तो पाकिस्तानी हमले में विंग कमांडर अभिनंदन के मिग बायसन को हमले से बचाया जा सकता था.

‘अंडरस्टेंडिंग द मैसेज ऑफ़ बालाकोट’ परिचर्चा का संचालन एयर मार्शल (रिटायर्ड) के के नोवहर ने किया.