ओडिशा के चांदीनगर एयर फ़ोर्स स्टेशन स्थित गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र (जीआरटीसी) का मैदान एक बार फिर भारतीय वायु सेना का गौरव माने जाने वाले नए ‘गरुड़’ कमांडो दस्ते की ताकत, तेजी और युद्ध कौशल का गवाह बना. सटीक निशाने लगाकर दुश्मन को धराशायी करने से लेकर अवरोधकों को पार करते हुए अपनी मंजिल तक तय वक्त पर पहुंचना और तमाम तरह की सैन्य मार्शल आर्ट्स का शानदार प्रदर्शन करके मैरून बेरे ( maroon beret) धारी इन कमांडो यहां मौजूद लोगों का दिल जीत लिया.
ये मौका शनिवार (3 सितंबर 2022) को तब आया जब यहां मरून बेरे रस्मी परेड का आयोजन किया गया. इन्हें स्पेशल फ़ोर्स कहा जाता है. भारतीय वायु सेना के सहायक प्रमुख एयर स्टाफ ऑपरेशंस (ऑफेंसिव) एयर वाइस मार्शल राकेश सिन्हा (assistant chief of the air staff operations (offensive), इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, उन्होंने परेड की समीक्षा की. गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र के कमांडेंट विंग कमांडर त्रिलोक शर्मा ने मुख्य अतिथि एयर वाइस मार्शल राकेश सिन्हा की अगवानी की.
श्री सिन्हा ने गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र से सफलतापूर्वक पास होने वाले गरुड़ कमांडो को बधाई दी. युवा कमांडो को संबोधित करते हुए उन्होंने बदलते हुए सुरक्षा परिदृश्य के साथ तालमेल रखने के लिए विशेष बलों के कौशल के प्रशिक्षण और सम्मान की अहमियत महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कोर्स में कामयाब हुए गरुड़ प्रशिक्षुओं को मरून बेरे (कैप), गरुड़ प्रवीणता बैज और विशेष बल टैब प्रदान किए और पास होने वाले मेधावी प्रशिक्षुओं को ट्राफियां प्रदान की. एलएसी जोंधले एस. बालासाहेब को सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रॉफी प्रदान की गई.
इस समारोह के एक हिस्से के रूप में ‘गरुड़’ ने लड़ाकू फायरिंग कौशल, बंधकों को मुक्त कराने, फायरिंग ड्रिल, आक्रमण विस्फोटक, बाधा क्रॉसिंग ड्रिल, दीवार पर चढ़ने, फिसलने, रैपलिंग और सैन्य मार्शल आर्ट्स का प्रदर्शन किया.
भारतीय वायु सेना (indian air force) की मरून बेरेट औपचारिक परेड पास होने वाले युवा गरुड़ के लिए गर्व और उपलब्धि का ख़ास पल होता है. ये पल एक बेहद मुश्किल प्रशिक्षण के समापन, इन कमांडो का युवा विशेष बल संचालकों में परिवर्तन तथा अपने जीवन के मूल्य पर भी इस देश की सेवा करने के लिए कुलीन बल में शामिल होने का प्रतीक है.