तीस वर्षीया मेजर राधिका सेन मेजर सुमन गवानी (maj suman gawani ) के बाद यह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं. सुमन गवानी ने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया था और 2019 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में 6,063 भारतीय कर्मियों में से 1,954 मोनुस्को के साथ काम करते हैं, जिनमें से 32 महिलाएं हैं. मौजूदा दौर में संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाली महिला सैन्य शांतिरक्षकों ( women peacekeepers) में भारत का 11वां सबसे बड़ा योगदान है.
प्रतिष्ठित जेंडर एडवोकेट ऑफ़ द इयर पुरस्कार ( gender advocate of the year award ) साल 2000 के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को बढ़ावा देने में शान्ति रक्षकों की उन कोशिशों को मान्यता देता है जिससे महिलाओं और लड़कियों को संघर्ष वाले इलाकों में यौन हिंसा से बचाने का काम किया जाता है.
मेजर राधिका एक रोल मॉडल :
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ( antonio guterres) ने बधाई देते हुए राधिका सेन को एक रोल मॉडल बताया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, राधिका सेन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया. वहां राधिका ने उत्तरी किव में एक शानदार और चौकस नेटवर्क बनाने में मदद की, जिसने समुदाय के लोगों, युवाओं और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान किया. उन्होंने समर्पण की भावना के साथ महिलाओं और लड़कियों सहित संघर्ष-प्रभावित समुदायों का भरोसा हासिल किया. राधिका सेन के सैनिकों ने उत्तरी किव में बढ़ते संघर्ष के माहौल में उनके साथ काम किया.
आईआईटी बॉम्बे से पोस्ट ग्रेजुएट :
राधिका सेन मूल रूप से भारतीय पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ( himachal pradesh ) की रहने वाली हैं और एक बायोटेक इंजीनियर हैं. राधिका आईआईटी बॉम्बे में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही थीं, तब उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया. 1993 को जन्मी मेजर सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुईं. इसके बाद वह एक के बाद एक पायदान ऊपर बढ़ती गईं. उन्हें 2023 में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ इंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (मोनुस्को) में नियुक्त किया गया था, और उन्होंने अप्रैल 2024 में अपना कार्यकाल पूरा किया.
यह बोली मेजर राधिका :
वहीँ जब अवार्ड का एलान किया गया तब प्रतिक्रिया के तौर पर राधिका सेन ने कहा, “लिंग-संवेदनशील शांति स्थापना हर किसी का काम है, न कि सिर्फ हम महिलाओं का. शांति की शुरुआत हम सभी की खूबसूरत विविधता से होती है.” यह पुरस्कार मेरे लिए खास है. यह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करने वाले सभी शांति सैनिकों की कड़ी मेहनत और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने को मान्यता देता है.”