भारत के पश्चिम में लोंगेवाला की ऐतिहासिक लड़ाई के हीरो महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी नहीं रहे. मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आज सुबह करीब 9 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. 78 साल के चांदपुरी कैंसर से पीड़ित बताए जा रहे थे. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले चांदपुरी के शौर्य पर फिल्म ‘बार्डर’ तो आपको याद ही होगी जिसमें सनी देओल ने ब्रिगेडियर चांदपुरी की भूमिका निभाई थी. लोंगेवाला की लड़ाई के दौरान मेजर रहे कुलदीप सिंह चांदपुरी विपरीत हालात में भी गजब की जांबाजी दिखाते हुए न सिर्फ दुश्मन की टैंक रेजिमेंट के सामने अपने कुछेक जवानों के डटे रहे बल्कि दुश्मन को धूल भी चटा दी थी.
लोंगेवाला की जंग तो पूरी एक कहानी है लेकिन यहाँ खास बात यह रही कि थार के रेगिस्तान में जैसलमेर जिले की लोंगेवाला चौकी पर कब्जा जमाने के प्रयास में पाकिस्तान फौज ने सिर्फ दो दिन में अपने 34 टैंक, करीब 500 वाहन और तकरीबन 200 जवानों को गंवा दिया लेकिन चौकी पर कब्जा नहीं कर सकी तो इसलिए कि मेजर (उस समय) कुलदीप सिंह चांदपुरी के जवान उन पर बहुत भारी पड रहे थे.
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी
कुलदीप सिंह चांदपुरी का जन्म 22 नवम्बर 1940 को अविभाजित पंजाब के मांटगोमेरी में हुआ था. यह अब पाकिस्तान में है.
सिर्फ 22 साल की आयु में ही वह पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में शामिल हो गये थे. यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित यूनिट है.
कुलदीप सिंह चांदपुरी ने साल 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग में भी हिस्सा लिया था. वह गाज़ा और मिस्र में भी सन्युक्त राष्ट्र की ओर से अपनी सेवाएं दे चुके थे.
4 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कुलदीप सिंह चांदपुरी 120 सैनिकों की टुकडी के साथ लोंगेवाला में तैनात थे. इस दौरान पाकिस्तान की 51वीं इंफेंट्री ब्रिगेड के करीब 3000 सैनिकों ने उनकी पोस्ट पर हमला बोल दिया. पाकिस्तान का यह हमला इतना सुनियोजित था कि उसने 3000 सैनिकों के बावजूद अपनी 22वीं आर्म्ड रेजिमेंट को भी मदद के लिये लगा रखा था. बताया जाता है कि लोंगेवाला के युद्ध में भारत के सिर्फ दो जवान घायल हुए थे.
जब ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने किया मानहानि का केस
‘बार्डर’ फिल्म ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी पर आधारित थी और इस फिल्म ने धूम मचा दी थी लेकिन इसके साथ एक विवाद भी जुड गया था. मेजर जनरल आत्मा सिंह और एयर मार्शल एमएस बावा ने दावा किया था कि कुलदीप सिंह चांदपुरी और अल्फा कंपनी पाकिस्तान हमले के दौरान बार्डर पर मौजूद ही नहीं थी. उनका तो यह भी दावा था कि पाकिस्तानी सेना को सिर्फ इंडियन एयर फोर्स ने ही पटखनी दी थी.
इस पर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने कहा था कि “लगता है फिल्म में हमको हाईलाइट किए जाने से उन्हें ईर्ष्या हो रही है. अगर उनका दावा सही है तो इतने साल में यह दावा क्यों नहीं किया गया.” बाद में ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने एक रुपये का मानहानि का सांकेतिक केस भी दायर किया था. इस बारे में बाद में ब्रिगेडियर कुलदीप ने कहा भी कि मैंने यह केस सिर्फ यह बताने के लिए किया कि मैं जंग में बार्डर पर था और वे दोनों वहां नहीं थे. मुझे पैसा नहीं चाहिये लेकिन न्याय चाहिये.