लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने भारतीय सेना ( indian army ) की पश्चिमी कमांड की कमान आज संभाल ली. यहां का जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ( जीओसी – इन – चीफ ) बनाए. उनसे पहले लेफ्टिनेंट जनरल नव कुमार खंडूरी पश्चिमी कमान के जीओसी इन चीफ थे. लेफ्टिनेंट जनरल खंडूरी सेना की 40 साल की सेवा के बाद शुक्रवार को रिटायर हुए. वह नवंबर 20 21 से पश्चिमी कमांड के प्रमुख थे. उन्हें कल विदाई सलामी दी गई.
इधर पश्चिमी कमांड नई नियुक्ति संभालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल कटियार मिलिटरी ऑपरेशन के महानिदेशक के ओहदे पर बने हुए थे.
चंड़ीगढ़ के पास चंडीमंदिर स्थित कमान मुख्यालय में वीर स्मृति पर उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित करके लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने देश के लिए कुर्बान हुए बहादुर सैनिकों को सलाम किया . भारतीय थल सेना की पश्चिमी कमांड का मुख्यालय हरियाणा – हिमाचल – चंडीगढ़ की सीमा पर पंचकुला ज़िले में है. यह हरियाणा का एक जिला है. इस तैनाती से पहले लेफ्टिनेंट जनरल कटियार भारतीय सेना डायरेक्टर जनरल , मिलिटरी ऑपरेशंस ( director general military operations) थे. उन्होंने 11 मई 2022 को डीजीएमओ का कार्यभार संभाला था .
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान का 1947 में पुनर्गठन हुआ था जिसका ध्येय वाक्य ‘ सर्वदा विजयी भव ‘ है. लाल शील्ड के बीच काली पट्टी और उस पर सुनहरे रंग का चक्र सेना की इस कमान का प्रतीक चिन्ह है .
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ( m k katiyar ) ने भारतीय सेना की 23 राजपूताना राइफल्स में कमीशन हासिल किया था. डीजीएमओ के तौर पर नियुक्ति से पहले लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने 5 अप्रैल 2021 से 30 अप्रैल 2022 तक सेना की प्रतिष्ठित 1 कोर की कमान भी संभाली जिसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के मथुरा में है . अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वाली सेना की 1 कोर को स्ट्राइक कोर भी कहा जाता है जिसका गठन 1965 के युद्ध के समय में हुआ था. गठन के दौरान ही इस कोर को सियालकोट सेक्टर में युद्ध में लगा दिया गया था. 1 कोर ने भारत – पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग में हिस्सा लिया तो 1971 के युद्ध में भी हिस्सा लेते हुए बसंतर की लड़ाई लड़ी.