भारतीय सेना में अपनी फिटनेस के लिए लोकप्रिय लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर थल सेना की दक्षिण पश्चिम कमांड का कार्यभार सम्भालने के लिए, दिल्ली से राजस्थान की राजधानी जयपुर जाने के लिए, दिल्ली से न उड़ान भरेंगे और न ही कार से सफर करेंगे. उन्होंने इसके लिये अपनी प्रिय सवारी साइकिल को चुना है. जी हाँ, वो दिल्ली से जयपुर तक की यात्रा साइकिल पर करेंगे और इस दौरान उनका साथ देंगे दोनों बेटे अरमान और अयमान.
58 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर देश की राजधानी से अपनी नयी कर्मस्थली राजस्थान की राजधानी जयपुर तक 270 किलोमीटर का सफर शनिवार की रात में तय करेंगे. ऐसा करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर भारतीय सेना के पहले सेवारत कमांडर होंगे. अंदाज़ा है कि ये साइकिल यात्रा 14 घंटे से कम में पूरी होगी और इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर रास्ते में 2 जगह छोटा सा ‘टी ब्रेक’ लेंगे. गौरतलब है कि आलोक सिंह मेयो कालेज के छात्र रहे हैं.
साइक्लिंग के लिए ‘पैशन’ रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर का मानना है कि साइक्लिंग जबरदस्त व्यायाम है. उनका कहना है तंदुरुस्ती व्यक्तिगत मिशन की तरह है और इसे संगठन की तरफ से थोपा नहीं जाना चाहिए. और साथ ही वो ऐसा ही सन्देश अपने मातहत साथियों तक पहुँचाना चाहते हैं.
अपने कुनबे में तीसरी पीढ़ी के फौजी आलोक सिंह ने 1982 में भारतीय सेना में कमीशन हासिल किया था और 68 आर्मर्ड रेजिमेंट का हिस्सा बने. उनके पिता भारतीय सेना से ‘थ्री स्टार’ जनरल के तौर पर रिटायर हुए थे. आलोक सिंह क्लेर का साइक्लिंग के प्रति रुझान थल सेना में ज्यदातर लोगों को पता है. आलम ये है कि पिछले साल जब वो अम्बाला में तैनाती के दौरान स्ट्राइक कोर को कमांड कर रहे थे तो रात को सेना के ठिकानों और तमाम फोर्मेशंस तक पहुंचने के लिए 300 किलोमीटर तक साइक्लिंग कर लेते थे.
जनरल क्लेर नौजवान अधिकारियों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी हैं और सेना में भ्रातृत्वभाव को लेकर संवेदनशील भी हैं. उनकी इस संवेदनशीलता से ताल्लुक रखने वाली इसी साल फरवरी की घटना के बारे में काफी चर्चा भी हुयी थी जब वो अम्बाला से पुणे उस कैडेट को मिलने के लिए हवाई यात्रा करके पहुंचे थे जिसने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (नेशनल डिफेन्स एकेडमी-NDA) में क्रॉस कंट्री दौड़ पूरा करते समय बेहोश हुए दूसरे कैडेट को ढाई किलोमीटर तक अपने कंधे पर उठाकर दौड़ पूरी की थी. अजमेर स्थित मेयो कॉलेज के क्रॉस कंट्री कैप्टन रहे आलोक सिंह क्लेर ने उस कैडेट को अपना प्रिय चश्मा रे बेन एवियेटर’ तोहफे में दिया था जो उसी ईको स्क्वाड्रन में था जिसमें जनरल क्लेर तीस साल पहले रहे.
असल में 13 .8 किलोमीटर की क्रॉस कंट्री दौड़ एनडीए कोर्स के दौरान की तमाम गतिविधियों का वो अहम हिस्सा है जिनमें किया गया बेहतर प्रदर्शन सम्बन्धित स्क्वाड्रन की अहमियत को बढ़ाता है.