भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य में आग बुझाने के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की जान चली गई. आग को फैलने से रोकने और अपने 1500 साथियों को बचाने की कोशिश में आग बुझाने की पहल के दौरान वह जहाज के मशीनरी कम्पार्टमेंट में गये थे. आग पर तो समय रहते काबू पा लिया गया और बड़ा नुकसान होने से बच गया लेकिन लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान (30) की जान नहीं बच सकी. डीएस चौहान की हाल ही में शादी हुई थी. आग लगने के हालात और कारणों का पता लगाने के लिए बोर्ड ऑफ़ इनक्वायरी के आदेश दिए गये हैं.
आईएनएस विक्रमादित्य में ये हादसा कर्नाटक के करवड़ में तब हुआ जब जहाज़ बन्दरगाह में प्रवेश कर रहा था. लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान आग बुझाने की कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे थे लेकिन धुएं के असर से बेहोश हो गये थे. लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान को करवड़ स्थित नौसैनिक अस्पताल पतंजलि में ले जाया गया लेकिन डाक्टरों के कोशिशें नाकाम साबित हुईं.
नौसेना के प्रवक्ता के मुताबिक़ आग बुझाने की तुरंत की गई कार्रवाई से जहाज़ की युद्धक क्षमता को किसी तरह का गम्भीर नुकसान होने से रोक लिया गया था और ये लेफ्टिनेंट डीएस चौहान के साहस की वजह से हुआ.
भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लान्बा ने युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की मृत्यु पर शोक ज़ाहिर करते हुए कहा है कि नौसेना अभी और बाद में भी हमेशा लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान के परिवार की हरसम्भव मदद करेगी.